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सोमवार, 28 मार्च 2011

नेता का भाषण

पल -पल बसंत
पल- पल सावन
नेता का भाषण //

अगरबत्ती का धुआं
आश्वाशानो का कुआं
जनता को अर्पण
और कब समझेगा मियाँ जुम्मन
नेता का भाषण //

रहिये दूर-दूर
ये खट्टे अंगूर
हवा वोट की जब चलती
लग जाता इनका आसान
नेता का भाषण//

जितना बजाओगे ताली
उतना ही होगा
हाथ तुम्हारा खाली
भर जाएगा उनका घर-आँगन
नेता का भाषण //

मंगलवार, 22 मार्च 2011

तालाब के ऊपर खेती (एक अभिनव प्रयोग )

लगातार हो रहे विकास कार्यों यथा सड़कों ,फैक्ट्रियों, स्कुल , कालेजों के बनने से कृषि भूमि के क्षेत्रफल में लगातार ह्रास हो रहा है । कृषि भूमि के बढ़ोतरी के बारे में आज किसी का ध्यान नहीं है । मेरा यह प्रयोग कृषि भूमि के विकास में योगदान देगा ।
विकास कार्यों का सबसे बुरा असर भूमिगत जल स्तर पर पड़ता है । वर्षा का जल धीरे धीरे फ़िल्टर हो कर ज़मीं के नीचे जाता है । वर्षा का जल जितनी देर तक ज़मीं पर टिका रहेगा, फ़िल्टरेशन की मात्र उतनी ही ज्यादा होगी । उदहारण स्वरुप बिहार दरभंगा ,मधुबनी ,चंपारण जिलों में अत्यधिक मात्र में तालाब होने के कारण वहाँ के भूमिगत जलस्तर में कोई खास गिरावट नहीं हुआ है , परन्तु नालंदा ,अरवल ,जहानाबाद ,औरंगाबाद शेखपुरा ,बांका इत्यादि जिलों में भूमिगत जलस्तर की स्थिति बहुत ही दयनीय है ।
विकास कार्यों के होने से , ज़मीन पर फ़िल्टरेशन क्षेत्रफल घट रहा है ।

कृषि भूमि में बढ़ोतरी कैसे :

तालाब खुले होने से अत्यधिक मात्रा में वास्पीकरण होता है और तालाब फरबरी मार्च के महीने में सूखजाता है । तालाब को एक निश्चित आकर देकर अगर हम ऊपर से कंक्रीट की छत ढाल दे और छत के ऊपर तीन चार फिट मिटटी डाल दे, तो इसके निम्न फायदे हो सकते है ....
१। कृषि भूमि के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी
२ वर्षा जल का भारी मात्रा में संचयन और बाढ़ में कमी

३ जल का वास्पीकरण बहुत ही कम होगा ,जिसके कारण बहुत दिनों तक पानी उपलब्ध रहेगा ।
४भारी मात्रा में फिल्टरेशन होने के कारण भूमिगत जलस्तर काफी ऊपर आ जाएगा
५ तालाब के ऊपर कंक्रीट छत पर डाली गई मिटटी एवं अगल बगल के खेतों में कृषि कार्य के लिए भारी मात्रा में सिंचाई जल उपलब्ध होगा ।

गुरुवार, 17 मार्च 2011

फिर जी भर कर खेलो होली //

लाज, शर्म और हया की
आज उठा दो डोली
फिर जी भर कर खेलो होली //

खाकर पुआ और दहीबाड़ा
निकली बच्चों की टोली
लिए रंग-बिरंगी पिचकारी
और गुलाल की पोटली //
लाज, शर्म और हया की
आज उठा दो डोली
फिर जी भर कर खेलो होली //

जीजा के घर आई साली
देवर, भाभी संग करे ठिठोली
सरहज के पीछे भागे नंदोई
लिए रंग से भारी हथेली //
लाज, शर्म और हया की
आज उठा दो डोली
फिर जी भर कर खेलो होली //

शनिवार, 5 मार्च 2011

कुछ नया सोचो

सोचो! सोचो !
कुछ नया सोचो, मेरे दोस्त !
हर कोई नया सोच रहा है ॥

अब समय
किसी को लतिया कर
गिराने का नहीं
नई सोच से आगे बढने का है ॥

क्यों मिटाना
किसी रेखा को छोटा करने के लिए
जब तुम समर्थ हो
वर्तमान रेखा के बगल में
एक लम्बी रेखा खीचने में ॥

अगर ओढ़नी है
सफलता की चादर
अगर पहुंचना है
फर्श से अर्श तक
तो बड़े करीने से बुनने होंगे
मेहनत के धागे ॥

मेरे बारे में