लाखों करोड़ों शब्द है
कुछ नफरत के
कुछ प्यार के
तो कुछ मनुहार के भी
नफरत के शब्द सजा दो
तो गाली
प्यार के शब्द सजा दो
तो मोहब्बत हो जाता है
कुछ नफरत के
कुछ प्यार के
तो कुछ मनुहार के भी
नफरत के शब्द सजा दो
तो गाली
प्यार के शब्द सजा दो
तो मोहब्बत हो जाता है
कुछ शब्द झूठ के भी है
तो कुछ शान्ति वार्ता के भी
कुछ शब्द आदर के है
तो कुछ अनादर के भी
तो कुछ शान्ति वार्ता के भी
कुछ शब्द आदर के है
तो कुछ अनादर के भी
शब्दों को सजाने की कला ने
कभी किसी को कवि बनाया
तो किसी को झूठा
शब्दों की सजावट ने
कभी क्रांति की बिगुल फूकी
तो कभी शान्ति की पहल की
आईए....
हम शब्दों se ईश्क करे
कभी किसी को कवि बनाया
तो किसी को झूठा
शब्दों की सजावट ने
कभी क्रांति की बिगुल फूकी
तो कभी शान्ति की पहल की
आईए....
हम शब्दों se ईश्क करे
क्या बात वाह!
उत्तर देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार
उत्तर देंहटाएंशब्दों से इश्क तो ठीक है वो हम करते ही हैं लेकिन मीठे मीठे प्यार भरे शब्द बोलने वाली हो तब तो मज़ा है ना.
उत्तर देंहटाएंछोटे भाव की बड़ी कविता।
उत्तर देंहटाएंबहुत बढ़िया ...
उत्तर देंहटाएंसुन्दर सृजन, बधाई
उत्तर देंहटाएंWorldest comman person and see more about this person....
उत्तर देंहटाएंopen
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veiw
बेहतरीन रचना के लिये साधुवाद।
उत्तर देंहटाएंhttp://aakarshangiri.blogspot.in/2015/06/blog-post.html
ज्ञानवर्धक, अति सुन्दर whatsapp awesome
उत्तर देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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उत्तर देंहटाएंबबन जी आप की कविता में शब्दों के खेल को बहुत ही अच्छे और सहज तरीके से संजोया गया है की कैसे सब्दो का चयन इंसान के चरित्र का प्रदर्शन करते हैं आप इस तरह की कविताएं शब्दनगरी
उत्तर देंहटाएंपर भी प्रकाशित कर सकते हैं। .....
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