tag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post2917147533251580442..comments2023-12-14T01:29:56.831-08:00Comments on " 21वीं सदी का इंद्रधनुष ": !!एक अर्थशास्त्री की नज़र में गंगा !!babanpandeyhttp://www.blogger.com/profile/17780357103706948852noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-81629534756607067952011-08-04T22:28:33.080-07:002011-08-04T22:28:33.080-07:00गब्गा भारतीयों के हृदय में आस्था से जुडी है ... ले...गब्गा भारतीयों के हृदय में आस्था से जुडी है ... लेकिन फिर भी देशवासी ही इसको प्रदूषित कर रहे हैं ..योजनाएं विकास के लिए बनती हैं पर सही रूप में उनको लागू नहीं किया जाता .. और ससे बड़ी बात कि हम अपने कर्तव्यों के प्रति उदासीन हैं ...<br /><br />अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-71238892745121110152011-08-04T17:56:29.782-07:002011-08-04T17:56:29.782-07:00नई हलचल पर लिंक देख यहाँ तक पहुँची हूँ |कविता की द...नई हलचल पर लिंक देख यहाँ तक पहुँची हूँ |कविता की दृष्टि से देह्दें तो कविता अच्छी लगी बधाई |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-62654433982161536162011-08-04T17:17:57.949-07:002011-08-04T17:17:57.949-07:00आपकी इस पोस्ट की हलचल आज यहाँ भी हैआपकी इस पोस्ट की हलचल आज <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com" rel="nofollow"> यहाँ </a> भी हैYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-72033974811566163632010-10-14T12:35:57.317-07:002010-10-14T12:35:57.317-07:00Shree Baban Bhai Ji, is kavita par alag-alag sat...Shree Baban Bhai Ji, is kavita par alag-alag sathiyo ka apna alag-alag ray hai...lekin mera ray hai ki ye KAVITA sirf padha ne se nahi hoga samajhane se hoga...ki vastav me aap kahana kya chahate hai... <br /> Aap ka ye soch ''Ganga Bacho aviyan'' me bahut bada rool ada karega...Bhai Ji, aap ki soch ko salam...samajik samasyao par likhane ke liye...dhanybaad.Shaileshwar Pandey"Shanti"https://www.blogger.com/profile/01103778614650929259noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-44704424828823202732010-10-14T11:41:59.423-07:002010-10-14T11:41:59.423-07:00गंगा को संस्कृत वांग्मय ने जाह्नवी भी कहा है..बबन....गंगा को संस्कृत वांग्मय ने जाह्नवी भी कहा है..बबन..अर्थात जीवन प्रदायिनी..उसकी धवल धाराओं ने जहाँ पर हिमगिरी पर्वतों की वनस्पतियों और ओषधियों का सिंचन किया है..वहीँ भारतीय अध्यात्म के शिखरस्थ अनुसन्धान भी इन्ही धाराओं के तीर पर ही हुए..<br />एक प्रखर सभ्यता की उद्गम स्थली भी है गंगा..... सभी सभ्यताओं में एक बात समान है..वे किसी नदी किनारे ही पनपी हैं..<br /><br />किन्तु..<br />सदियों गरीबी के दंश झेलता यह राष्ट्र...और उसकी समग्र विचारणा इतनी अर्थ केन्द्रित हो जाएगी की वह अपने मूलभूत आधार स्थम्भों को भी अर्थ के तराजू में तोलने लगेगा....यद्यपि विश्वास करना पीड़ित करता है..पर सत्य है...इसलिए मुंह भी नहीं मोड़ा जा सकता..<br /><br />आपकी कविता....निश्चित ही आपका सात्विक संताप भी है...हमारी अर्थ केन्द्रितता पर व्यग्य भी..चोट भी...मैं यह शुभ कामनाएं देना चाहूँगा की आने वाली संतति को ऐसी कवितायेँ न लिखनी पड़ें..<br />साधुवाद..aroonhttps://www.blogger.com/profile/03271996783033162768noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-56094823771788957542010-10-14T09:56:13.630-07:002010-10-14T09:56:13.630-07:00कितनी भी सफलता हमें अनैतिक मार्ग पर चलने से मिले, ...कितनी भी सफलता हमें अनैतिक मार्ग पर चलने से मिले, हम हमेशा ही उसे अस्वीकरेगें, ठुकरायेंगे इसी मेरी व्यक्तिगत सोच है I व्यंगात्मक रूप में रचना अपना उत्तर दाइत्व बखूबी निभानें में सक्छ्म हैI गंगा जी की अध्यात्मिक एवं धार्मिक महिमां पर भी आंच लागना हमारी संस्क्रती के विपरीत है I जिस पवित्र गंगा जी से हमारे पापों के विनाष होते हों आज हम उसी को अपवित्र कर रहे हैं I रूप चाहे कोई भी हो सरकार का और हम सभी का सैदेव यही प्रयास हो के किसी भे कीमत पर हम इसे शुध्ह एवं स्वच्छ रक्खें ISQUADRON LEADER(RETD)SM DUBEYhttps://www.blogger.com/profile/16561387565465152247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-4571587810790911242010-10-14T07:14:18.684-07:002010-10-14T07:14:18.684-07:00व्यंगात्मक लहजे की बेहतरीन रचना, और सच भी है की भा...व्यंगात्मक लहजे की बेहतरीन रचना, और सच भी है की भावनाओं पर ज्यादा दिनों तक जिया भी नहीं जा सकता एक इमानदार अर्थशास्त्री अगर चीजों को अपनी अनुभवी नज़र से देखता है तो बेहतर है! और भाई देश जी डीपी के ज़रीये ही ऊपर नीचे होता है! अगर हम गंगा को माँ मानते हैं तो खुद भी कुछ करना होगा........गंगा की सफाई और उसकी सुरक्षा हमारे जिम्मे है! सरकारों के कंधे हम नहीं छोड़ सकते! बनारस या अलाहाबाद में लगी भीड़ या माँ गंगा माँ गंगा का उद्घोष करने वाले अगर वही शरधा बरक़रार रखें तो गंगा अपने पावन रूप को बरक़रार रखेगी और फिर कोई लिखेगा "ए आब शार-ए-गंगा ए पुर बहार गंगा गंगोत्री से निकली कैसी उछल उछल कर" वरना लफ्फाजी तो बहुतेरे करते हैं <br />अच्छी रचना खुबसूरत चिंतनEP Adminhttps://www.blogger.com/profile/15274052540330540379noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-12056026237342146602010-10-14T03:19:36.550-07:002010-10-14T03:19:36.550-07:00मैं जनता हू .... माँ देती है ।
......................मैं जनता हू .... माँ देती है ।<br />...................................लेती नहीं<br />लेकिन अजीब विडम्बना है, हम लेने की हर बात को जायज बता देते है..... भले ही उससे हम पवित्रता की सारी सीमाए तोड़ दे........वैसे गंगा तो माँ है तो माँ तो बच्चो की सारी भूल क्षमा कर देती है...... लेकिन कभी कभी ये क्षमा आगे उस बच्चे को नुकसान भी देती है,,,, सायद ये अर्थसास्त्री की गंगा में वही भूल और क्षमा है..........Priyadarshan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/13887743058166437233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-62120175389155449602010-10-14T02:47:19.110-07:002010-10-14T02:47:19.110-07:00Maa ko to is ghor Kaliyug me sabhi ne sasta samajh...Maa ko to is ghor Kaliyug me sabhi ne sasta samajh liya hai, Baban ji! Fir, arthshastri hi kyon anarth karne me peechhe rahenge...! Bada hriday-vidaarak sankalan hai aadhunik maanav ke kalushit chintan ka... Maano to main Ganga Maa hun, na maano to behta paani... Har-Har Gange!!!Shrinath Vashishthahttps://www.blogger.com/profile/05961592545166504885noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-17236467381347413672010-10-14T01:34:47.073-07:002010-10-14T01:34:47.073-07:00:
बबनजी,
प्रत्येक देशवासी गंगा से इस तरह दिल-दिमाग...:<br />बबनजी,<br />प्रत्येक देशवासी गंगा से इस तरह दिल-दिमाग से जुडा हुवा है कि मुंह से "गंगा" शब्द ही नहीं निकलता... बल्कि जब नाम लेना भी होता है तो मुंह से "गंगा जी" या फिर "गंगा मैया" ही निकलता है...<br />ऐसी पवित्र "गंगा मैया" को अपवित्र करनेवाले चाहे वो जो भी हों और जिन किन्हीं कारणों से भी ऐसा हो रहा हो, वो लोग और कारण दोनों ही अक्षम्य हैं...Madhu Sudan Muskarahttps://www.blogger.com/profile/04681542015787007956noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-55275631018352019072010-10-14T01:17:52.123-07:002010-10-14T01:17:52.123-07:00तुषार जी ..@...मैं बिहार सर्कार के जल संसाधन विभाग...तुषार जी ..@...मैं बिहार सर्कार के जल संसाधन विभाग में अभियंता हूँ ...गंगा नदी में ..sewage . (tiolet ,kitchen , मेडिकल waste )..को शोधित कर डालना है ..बहुत सी योजनाये चली ...मगर जब ...प्रतेक व्यक्ति ...अपने कर्तब्य को नहीं समझेगा ...तब तक ..कोई भी योजना ,..सार्थक नहीं हो सकती ....बिहार में गंगा में dolphine से मिलता जुलता एक मछली पाया जाता है ...जिसे "सोंस"...कहते है ...यह रास्ट्रीय जल जीव के रूप में जोड़ा गया है ...नितीश कुमार के अनुरोध पर .....नदियों को जोड़ने की योजना चल रही है ...शुक्रियाbabanpandeyhttps://www.blogger.com/profile/17780357103706948852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-45091871717941438752010-10-14T00:51:21.053-07:002010-10-14T00:51:21.053-07:00बबन जी............सही विचार आपका........इस रचना मे...बबन जी............सही विचार आपका........इस रचना में..... .....सही हैं कि ..........किसी भी समस्या के लिए सबकी अपनी नजर होती हैं........पर सरकार का काम होता हैं कि वो सबके विचार मिलाकर एक समग्र नीति बनाये.......उस समस्या से लड़ने के लिए......पर ऐसा होता नहीं..........सब अलग-२ दिशा में सोचते रहते हैं....और अपने-२ हिसाब से पता नहीं (क्या) करते रहते हैं......जिसका नतीजा सिफर होता हैं.......और पैसा गायब.......क्योकि किसी कि कोई जिम्मेदारी नहीं..........जब तक सरकार जिममेदारी नहीं लेगी कोई गंगा साफ़ नहीं होने वाली........nareshhttps://www.blogger.com/profile/07475982966511938471noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-66341048283917521182010-10-14T00:46:56.355-07:002010-10-14T00:46:56.355-07:00विस्तार से बतायें गंगा पर क्या योजनायें चल रहीं है...विस्तार से बतायें गंगा पर क्या योजनायें चल रहीं हैं ,<br />विकास की बात है ,चलेगा ,यदि यों ही गंगा प्रदूषित होती रही ,<br />अफ़सोस होगा ;tushardevendrachaudhryhttps://www.blogger.com/profile/02718759164976251984noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-55669913230727560962010-10-14T00:46:31.854-07:002010-10-14T00:46:31.854-07:00विस्तार से बतायें गंगा पर क्या योजनायें चल रहीं है...विस्तार से बतायें गंगा पर क्या योजनायें चल रहीं हैं ,<br />विकास की बात है ,चलेगा ,यदि यों ही गंगा प्रदूषित होती रही ,<br />अफ़सोस होगा ;tushardevendrachaudhryhttps://www.blogger.com/profile/02718759164976251984noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-12981001477472761272010-10-14T00:10:31.478-07:002010-10-14T00:10:31.478-07:00बड़ा ही अच्छा मुद्दा आपने उठा जी ..सतीश जी ...गंगा...बड़ा ही अच्छा मुद्दा आपने उठा जी ..सतीश जी ...गंगा को साफ़ रखने ..में एक आदमी का क्या योगदान हो सकता है ...अगर इसे समझ लिया जाए तो ...ये समस्या ही नहीं आगेगी ...पढ़ते रहिये ...विचारो से अवगत करते रहियेbabanpandeyhttps://www.blogger.com/profile/17780357103706948852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-72322519319040462732010-10-13T23:47:35.702-07:002010-10-13T23:47:35.702-07:00Yedi kavita ek nadi per hi likhni thee to vo jamun...Yedi kavita ek nadi per hi likhni thee to vo jamuna per bhi likhi ja sakti thee. Magar kuchh logon ko maza hi tab aata hai ki kisi ki bhawanayein aahat ho aur log hamari aur bhi dekhein. Bus isi jugaad mein chale jaa rahein hain kalam ghisne. <br /><br />Aap logon ko yedi apne gyaan aur aam aadmi ke bauddhi hone ka itna hi guman hai ki vo uske hit samjhayeinge aur unki samajh mein aa jaayega to kripa karke logon ko red light per bina kisi traffic police or challan ke discipline se chalna sikha do to hum maan jaayeinge ki log seedhi baat bhi samajh letein hain. <br /><br />Logon ko dande ka dar hi control mein rakhta hai chahe vo police ka ho ya ishwar ke dande ka.<br />Dharma sirf logon ko vahan niyantrit karne ka ek saadhan matra hai jahan hamara kaanoon apni dhar kho deta hai. Aur ye tabhi sambhav hai jab log us per vishwaas karein to.<br />Mujhe ye kavita kum bhawanaaon se khelne ka khilona jyaada laga.<br />Katu comments ke liye kshama chahunga, Babban Ji,S C Mudgalhttps://www.blogger.com/profile/16461768905755640854noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-55195900192422846482010-10-13T23:21:44.366-07:002010-10-13T23:21:44.366-07:00नविन भाई ..गंगा को हमने औदोगोकीकरण करने का प्रयास ...नविन भाई ..गंगा को हमने औदोगोकीकरण करने का प्रयास कर रहे है ...उसी की नज़र से देखे ..की मैं कहा तक सफल हूँbabanpandeyhttps://www.blogger.com/profile/17780357103706948852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1032903960766420383.post-12050361880988554772010-10-13T23:13:38.447-07:002010-10-13T23:13:38.447-07:00आधुनिक सोच से ओत-प्रोत इस कविता को पढ़ना पूरी तरह ...आधुनिक सोच से ओत-प्रोत इस कविता को पढ़ना पूरी तरह सुख कर तो नहीं लगा, क्योंकि इस में व्यक्त बातें हमारी श्रद्धा से भी जुड़ी हुई हैं| कवि का लिखते वक्त और पाठक का टिप्पणी देते वक्त ईमानदार होना ज़रूरी है| आशा है आप इस तथ्य को स्वीकरेंगे| कविता वाकई दिल दिमाग़ के कई सुप्त हिस्सों को जगाने में सक्षम है| इस कविता को पढ़ कर मुझे अपना एक पुराना शेर याद आ गया:-<br /><br />बाढ़ कहीं बर्बाद करे तो सूखा कहीं हलकान करे|<br />अब तो सोचो क्या करना है बिखरी हुई जलधारों का||<br /><br />आपने शायद फेसबुक पर इसे पढ़ा होगा| हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई जी और पूर्व राष्ट्र पति श्री अब्दुल कलाम आज़ाद जी की इस महत्वपूर्ण परियोजना को आयाम लेते देखने के लिए मैं भी उत्सुक हूँ|<br /><br />http://thalebaithe.blogspot.comwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.com