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मंगलवार, 13 मार्च 2012

जी करता है ....


जी करता है ....
तेरी यादों से खेलूं
जी करता है ....
तेरे सपनों में जी लूं //

जी करता है ...
तेरा यौवन छू लूं
जी करता है ....
तेरे नयनों को पी लूं //

जी करता है ...
तेरी साँसों में बसकर
फूलों को महका दूँ
जी करता है ...
तेरे उर में घुसकर
अंग-अंग दहका दूँ //

जी करता है ...
तुमको फिर से पा लूं
जी करता है ...
तुमसे मिलकर जी भर रो लूं //

12 टिप्‍पणियां:

  1. ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है

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  2. .
    गुफ्पगूं बंद न हो
    बात से बात चले
    सुबह तक शामे मुलाकात चले

    जहां प्रेम के शब्द उठते हों, जहां हृदय के शब्द उठते हों, जहां अंतर तम बोलता हो, तो उसे बोलने देना।
    .

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  3. भाव शिखर पर बैठ प्रेयसी करती यह आलाप ..

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  4. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  5. जी करता है ...
    तेरी साँसों में बसकर
    फूलों को महका दूँ..
    बहुत सुन्दर प्रेमाभियक्ति !

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  6. जी करता है ....
    तेरी यादों से खेलूं
    जी करता है ....
    तेरे सपनों में जी लूं //
    a new dimension of love sir.. perhaps... this is the new concept//

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