नहीं चिल्लाता बच्चों पर अब , रहता हूँ मैं अब चुप
भूख नहीं लगती है मुझको ,ना ही पीता मैं अब सूप
नहीं संभालता मैं किचेन , ना ही बनता मैं अब कुक
जब से लाया हूँ ,बीबी की सौतन नई नवेली फेस-बुक //
सारा ध्यान स्टेटस पर अब , कितने कमेंट्स हैं आये
कौन फ्रेंड्स हैं स्नेह बनाए , कौन फ्रेंड्स अलसाए
महिला मित्रों की चैत्तिंग से , बदल जाता मेरा रंग-रूप
सुबह -शाम मत मिलना मुझसे ,कहता मित्रों से दो टूक//
बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंवाह!! अद्भुत!!
जवाब देंहटाएंtoo good..sattire at its best....
जवाब देंहटाएंभाई बबन जी वेसे भी आज कल फेस बुक पर महिलाओं के साथ चेटिंग करने की परंपरा अब धूमिल हुई ...किसी की हे तो ...आज कल महिला समाज पर जुल्म ढाया जा रहा है ....जो शब्द आ रहें है उस से तो ये ही ....बाकि जाह्न तक कविताओं का प्रशन है ....उसमें बिन महिला के कुछ नहीं ....और कवी मोहदय आज-कल गायब से है ...उनके पास कुछ बचा नहीं ...वो भी इसी लाइन में लग लिए ....अअब बाकि हम जेसे बचे इनकी कोई सुनता नहीं तो ...अपने बेलन चक्लोटे ही सही ....बीवी अहसान माने या नहीं पर ...आत्मिक संतुष्टि तो हे ही न ..और रंग बदल ही नही सकता बबन जी आज कल ...रंग लाने के भाव भी बहुत महंगे ..सो आज कल वेसे भी ये फेस बुक आज आज तक है ..कल का पता नहीं ....!!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सटीक सुंदर रचना,...
जवाब देंहटाएंbibi ki sautan facebook.......... bahut sahi:)
जवाब देंहटाएंa poem of realty....
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही नशे की तरह हो गई है ये आजकल... सच्चाई है...
जवाब देंहटाएंजी हाँ आजकल यही सच्चाई है.
जवाब देंहटाएंवाह, बबन भाई........
जवाब देंहटाएंसच में, मज़ा आ गया !!
वाह भईया !!गहरा कटाक्ष किया है आपने फेसबुक के नशे पर यह नशा सच में सर चढ़कर बोलता है बहुत ही सटीक लिखा है आपने !!
जवाब देंहटाएंहा हा हा... बहुत सही
जवाब देंहटाएंbahut khub! :)
जवाब देंहटाएंbilkul ye bimari esi hi hai
जवाब देंहटाएंsunder abhivykti
ब्लॉग -------साहित्य सुरभि
ha ..ha .bilkul sahi hai
जवाब देंहटाएंसभी के दिल का सच आपने कहने की हिम्मत की वाह ...बहुत खूब
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