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मंगलवार, 25 जून 2013

औरत होने का मतलब

रोज मरती हूँ ...
प्रसव के दौरान ..
बलात्कार के दौरान
फेक दी जाती है शराब
मेरे चेहरे पर
कभी फांसी पर लटक जाने को
कर दी जाती हूँ मजबूर ...
कम से कम
 गर्भ  में मत मारो मुझे ...//

रोज पिट जाती हूँ
जब पूछ बैठती  हूँ
क्यों पी लेते हो रोज ?
इसलिए भी पिट जाती हूँ
खराब हालतों में मैंने
नहीं खेलने दिया अपने शारीर से ...

क्या औरत होने का मतलब
पीटना/मरना ही लिखा  है
अब मैं लडूंगी ..
दुर्गा/काली बनकर
फिर मत कहना ..
तुमने ऐसा क्यों किया ? 

शुक्रवार, 14 जून 2013

ए लेटर टू डैड

हाय डैड !
एम हैपी ऐन्ड यू
एक पेपर में बैक क्या लगा
तुमने मेरा मिनट टू मिनट प्रोग्राम पूछ डाला
लो पढ़ लो!
माँ को मत बताना
आप पर ही गुस्सा होगी वो!

आठ बजे की रिंग
टोन लगा रखी मैंने
फटाफट  उठता हूँ
फिर बाथ-रूम
ढेर सार डियो  स्प्रे करता हूँ
ये मत पूछना पापा !
हनुमान चालीसा क्यों नहीं पढ़ते
दैथ्स बोरिंग !

अरे कालेज  क्या जाना !
टीचर  हैं कहाँ पढ़ाने वाले
जो भी पढता हूँ कोचिंग में
फिर दिन भर ....
माल../ मल्टीप्लेक्स और गर्ल फ्रेंड
दिन का खाना
किसी रेस्टोरेंट में /अपनी गर्ल-फ्रेंड के साथ

और सुनो !
थककर बोर होने के बाद
फेसबुक
रात के दो बजे तक
हंसी-मजाक ,फोटो और विडिओ शेयर //

और सुनो डैड !
दस हज़ार मेरे ए टी ऍम  में भेज दो
नहीं भेजना  चाहते
नो प्रॉब्लम !
ढेर सारे ऑप्सन है अर्न करने के
सो रिलैक्स //
योर सन

गुरुवार, 13 जून 2013

ग़ज़ल 2013

गलियों  में भवरे बहुत है ,फूल मस्त खिले होंगे
वो बहुत खुश है,जरुर किसी के गले मिले होंगे //

ज़रूरत पर जब दोस्तों ने, उनसे बेरुखी की होगी
उन्हें अब  रब बचाए ,ज़रूर उनके दिल जले होंगे  //

नई कोंपलें आने पर , खिलखिलाने लगी है शाखें
पतझड़ में उसने भी ,जुदाई के गम सहे होंगें //

रविवार, 2 जून 2013

गुलबदन

माना कि वो गुलबदन है
मगर कांटें हैं -ज़ुबानों में
आँखों में लिए
इश्क का खंजर
घुमती हैं बेख़ौफ़ //

बेजुबान रहकर भी
रौंद देती है वफ़ा के पेड़ को
जड़   से
पता नहीं ..
 कौन सा आरा है उनके पास ? 

मेरे बारे में