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गुरुवार, 13 जून 2013

ग़ज़ल 2013

गलियों  में भवरे बहुत है ,फूल मस्त खिले होंगे
वो बहुत खुश है,जरुर किसी के गले मिले होंगे //

ज़रूरत पर जब दोस्तों ने, उनसे बेरुखी की होगी
उन्हें अब  रब बचाए ,ज़रूर उनके दिल जले होंगे  //

नई कोंपलें आने पर , खिलखिलाने लगी है शाखें
पतझड़ में उसने भी ,जुदाई के गम सहे होंगें //

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