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रविवार, 28 अक्तूबर 2012

एक साधै .. सब सधे


वे ..
अपने गाँव के बारे लिखते थे
पड़ोस के बारे में लिखते थे
एक पार्टी के बारे लिखते थे
क्या खूब लिखते थे
जम कर लिखते थे
जो लिखते थे
गहराई में जाकर लिखते थे//


फिर .. सब राज्य के बारे में लिखने लगे
पुरे देश के बारे में लिखने लगे
इतिहास/ भूगोल / समाजशास्त्र
कला/खेल/साहित्य पर
कृषि /वित्त /बेरोजगारी  पर लिखने लगे
खूब लिखने लगे
अब उनको पढना
समुद्र के नीचे , मोतियों खोजने जैसा नहीं
बल्कि
पानी के सतह पर चलने जैसा है

शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

यादों की नदी


मेरे दिल में
तेरी यादों की नदी बहती  है
और
मेरे कानों  में
तेरी यादों की चिड़ियाँ चहचहांती  है

इस नदी का पी लेता हूँ
दो घूंट पानी
छा जाता है नशा
शराब की तरह मुझमें
और तब
मैं अपने को
तुम्हारी यादों से बने
वृक्षों के बीच पाता हूँ //




रविवार, 7 अक्तूबर 2012

चिड़ियाँ

आओ मेरे घर की छत पर 
... तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ ..
वादा करता हूँ ..
तुम्हें पिजरे में कैद नहीं करूंगा//


आओ ! सुनो 
मैंने अपने छत पर 
नहीं लगवाया है मोबाइल टावर 
खतरनाक किरणें निकलती हैं उससे //

मैं छत पर रोज डालूँगा
एक कटोरी पानी 
और थोड़े से अनाज ..
सिर्फ..और सिर्फ तुम्हारे  लिए//

.. बात ऐसी है ..
अगर तुम नहीं बचोगी ..
तो मेरे बच्चे तुम्हें कैसी देखेंगे //

आओगी न ! 
मेरी प्यारी चिड़ियाँ

शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012

आप चाय पीयेंगे क्या


 मेरे मित्र
मुझे पहले चाय  पर बुलाते थे

कुछ दिनों बाद ..
उनके यहां जाकर
पी लेता  था चाय

अब .. जब उनके यहाँ
जाता हूँ ..
वे पूछते है ...
चाय  पीयेंगे क्या

गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

गुलदस्ता


तुम्हें फूल कहना
गलती थी मेरी ...
आपके होठ
टूलिप के लाल फूल जैसे
आपके कपोल
श्वेत कमल
आपकी बिंदी
टेसू के फूल

आपका उर..


डहलिया के फूलों सा उन्नत

हे ! प्रिय ! तुम फूल नहीं
फूलों से भरा
एक गुलदस्ता हो ...

मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

नेताओ की घड़ी


एक पत्रकार नरक में गया ...
उसने वहाँ कुछ घड़ियाँ देखी
कुछ घडी तेज चल रही थी
कुछ धीरे धीरे
एक घडी तो बिलकुल बंद थी
उसने पूछा ..
ऐसा क्यों हो रहा है ..
... नर्क के .. कर्मचारी ने बताया
जो जितना झूठ पृथिवी पर बोला
उसकी घडी उतनी तेज चल रही है
जो घडी नहीं चल रही है
वह विवेकानंद की घडी है ..

पत्रकार ने ..पूछा ..
नेताओं की घडी किधर है ..
कर्मचारी ने कहा ..
वह तो आफिस में लगी है ..
वो क्यों ..
क्योकि वह बहुत तेज घुमती है ...
हमलोग उसे पंखे की तरह
इस्तेमाल कर रहे हैं
( (टाइम्स ऑफ़ इंडिया से साभार )

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