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गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

गुलदस्ता


तुम्हें फूल कहना
गलती थी मेरी ...
आपके होठ
टूलिप के लाल फूल जैसे
आपके कपोल
श्वेत कमल
आपकी बिंदी
टेसू के फूल

आपका उर..


डहलिया के फूलों सा उन्नत

हे ! प्रिय ! तुम फूल नहीं
फूलों से भरा
एक गुलदस्ता हो ...

4 टिप्‍पणियां:

  1. भैया जी आपके पांच वर्णों और दो शब्दों ने पुरे रचना को कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया
    ज़रा ध्यान दें
    मैं लेटी थी , वो लेटा था ,
    मैं निचे थी , वो ऊपर था
    फर्क बस इतना था
    ऐ समझने वालों
    मैं माँ थी , वो बेटा था

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