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शुक्रवार, 31 मई 2013

आगोश में लेकर


ऐसा कौन सा प्रश्न है
जिसे तुमने पूछा
और मैं अनुतरित रह गई
जिसका उत्तर
तुम खोजते रहते  हो
मेरी आँखों में

और आगोश में लेकर पूछते हो

कैसा लगता है
तो सुनो !
मैं शब्दहीन हूँ
इस सुखद एहसास को वयाँ करने में


सोमवार, 27 मई 2013

औरत - चार कविताएँ

(१) 
मेरी दादी एक औरत थी 
कहते है, 
शादी के बाद/ घुघट मे रहती थी. 
दादा और देबरो को छोड़कर 
शायद ही 
किसी ने उनका चेहरा देखा हो 
दादा जी का सेवा करना 
अपना धर्म समझती थी. 
पति/ बच्चो को खिलाने के बाद 
जो बचता था -- 
वह खाती थी. 
रात बारह बजे भी 
कोई आए 
तो उनके लिए खाना बनाती थी. 

(२) 
मेरी मा भी एक औरत है.
हमेशा साडी पनहती है 
परन्तु-- 
घुघट नही करती 
हम सब भाई 
मा का दूध पीकर 
बड़े हुए है. 
पूरी माँग मे सिंदूर करती है 
मेरी मा 
कही जाओ ---- 
तो नास्त! देना नही भूलती 
कहती है 
औरत तो 
गाय होती है -- 
जिस खुंते से चाहो, बाँध दो..... 

(३) 
मेरी पत्नी भी एक औरत है. 
छोटे-छोटे बाल रखती है 
ऑफीस जाती है 
बोतल का दूध पीकर 
पले है मेरे बच्चे 
साडी पहनती है 
शादी- विवाह के मौके पर ही 
स्कूटी चलाती है 
कहती है 
ऑफीस से आने के बाद 
थक जाती हू मे 
एक दाई रख लो 
टी० वी सीरियल देखती है 
मे बाहर जाता हू , 
तो कहती है 
बिस्कुट या केक खरीद कर खा लेना 
कोई वेवक़्त आए --- 
तो अच्छा नही लगता.

(४) 
मेरी बेटी भी एक औरत है 
जीन्स और टीशर्ट पहनती है 
इंग्लीश बोलती है 
मम्मी-पापा और 
आपने भाई-बहन को छोर कर 
शायद ही वह किसीको पहचाने 
कार चला लेती है 
इंटरनेट पर चाटिंग करती है 
खाना बनाने क! तो सवाल ही नही 
कहती है 
अपने मन से 
शादी करूगी 
शायद राखी सावन्त की तरह 
स्वंबर करे. 
( Udita Tyagi .. facebook friend)

------------baban pandey

मंगलवार, 21 मई 2013

एक लड़की का अंतर्द्वंद


न तुमने कभी
मेरे गेसुओं को हाथों से हिलाया है
न कभी
मेरे नर्म गुलाबी लवों को सहलाया है
मुझसे कभी नहीं कहा
झरने सी गुनगुनाती हो
गोरी इंतनी कि दूध शरमा जाए
आदि-आदि
जो लड़के कहते है
लड़कियों से अक्सर
समीप पाने की चाह में //

तुम तो बस
हाथों में हाथ लेकर
मेरी आँखों में देखते हों
पक्का यकीन हो चूका है मुझे
शादी पूर्व के बंधनों को
तुम नहीं तोड़ने वाले
दिल जीत लिया तुमने मेरा
अपने सभ्य व्यवहारों से //

अब देखना है शादी के बाद
जब पंडित जी और माता-पिता
मेरा हाथ रख देंगे /तुम्हारे हाथ पर
तो देखते है
कौन पहल करता है हाथ हटाने की //

शनिवार, 18 मई 2013

प्रार्थना


जब नयनों में तुम बसते हो
मेरा नयन कमल हो जाता है
जब साँसों में तुम बसते हो
मेरा हृदय सबल हो जाता है 

रोने की आदत


वे गुजर रहे होते हैं
तो देखकर भी
मन नहीं करता उन्हें टोकने का /बोलने का
मिलते ही शुरू हो जाते है
मानों दुनिया के सारे दुःख
डाल  दी गई हों उनकी झोली में //

उन्हें
बार-बार दिखते है  वैसे चेहरे
 जो घूम रहे होते है
वातानुकूलित मंहगी गाड़ियों में/ हवाई जहाजों में
और
काटते रहते हैं फीते
सम्मेलनों और आयोजनों के //


मैं उन्हें /अपने  साथ
घुमाना जाता हूँ गाँव
ताकि उन्हें हमेशा याद रहे
पुआल पर बेखवर सोये लोगों के चेहरे
किसी भी चीज को खाकर पेट भर लेने  की आदत //

शायद!
 ऐसा होने से
वे रोना बंद कर देंगे //

गुरुवार, 16 मई 2013

रिश्वत


रिश्वत का बोलबाला है..
कोई काम हो तो कैसे
रिश्वत दी मैने उन्हें
मीठी बोली की //

 प्यार पाने को लोग
रिश्वत देते है फूलों की

जानते हैं !
आज सूरज क्यों है चमकीला और गर्म
जी हाँ !
चाँद  ने रिश्वत  दी है सूरज को
वह जितना गर्म होगा
चांदनी राज करेगी
सबके दिलों पर

मेरे बारे में