(१)
मेरी दादी एक औरत थी
कहते है,
शादी के बाद/ घुघट मे रहती थी.
दादा और देबरो को छोड़कर
शायद ही
किसी ने उनका चेहरा देखा हो
दादा जी का सेवा करना
अपना धर्म समझती थी.
पति/ बच्चो को खिलाने के बाद
जो बचता था --
वह खाती थी.
रात बारह बजे भी
कोई आए
तो उनके लिए खाना बनाती थी.
(२)
मेरी मा भी एक औरत है.
हमेशा साडी पनहती है
परन्तु--
घुघट नही करती
हम सब भाई
मा का दूध पीकर
बड़े हुए है.
पूरी माँग मे सिंदूर करती है
मेरी मा
कही जाओ ----
तो नास्त! देना नही भूलती
कहती है
औरत तो
गाय होती है --
जिस खुंते से चाहो, बाँध दो.....
(३)
मेरी पत्नी भी एक औरत है.
छोटे-छोटे बाल रखती है
ऑफीस जाती है
बोतल का दूध पीकर
पले है मेरे बच्चे
साडी पहनती है
शादी- विवाह के मौके पर ही
स्कूटी चलाती है
कहती है
ऑफीस से आने के बाद
थक जाती हू मे
एक दाई रख लो
टी० वी सीरियल देखती है
मे बाहर जाता हू ,
तो कहती है
बिस्कुट या केक खरीद कर खा लेना
कोई वेवक़्त आए ---
तो अच्छा नही लगता.
(४)
मेरी बेटी भी एक औरत है
जीन्स और टीशर्ट पहनती है
इंग्लीश बोलती है
मम्मी-पापा और
आपने भाई-बहन को छोर कर
शायद ही वह किसीको पहचाने
कार चला लेती है
इंटरनेट पर चाटिंग करती है
खाना बनाने क! तो सवाल ही नही
कहती है
अपने मन से
शादी करूगी
शायद राखी सावन्त की तरह
स्वंबर करे.
( Udita Tyagi .. facebook friend)
------------baban pandey
मेरी दादी एक औरत थी
कहते है,
शादी के बाद/ घुघट मे रहती थी.
दादा और देबरो को छोड़कर
शायद ही
किसी ने उनका चेहरा देखा हो
दादा जी का सेवा करना
अपना धर्म समझती थी.
पति/ बच्चो को खिलाने के बाद
जो बचता था --
वह खाती थी.
रात बारह बजे भी
कोई आए
तो उनके लिए खाना बनाती थी.
(२)
मेरी मा भी एक औरत है.
हमेशा साडी पनहती है
परन्तु--
घुघट नही करती
हम सब भाई
मा का दूध पीकर
बड़े हुए है.
पूरी माँग मे सिंदूर करती है
मेरी मा
कही जाओ ----
तो नास्त! देना नही भूलती
कहती है
औरत तो
गाय होती है --
जिस खुंते से चाहो, बाँध दो.....
(३)
मेरी पत्नी भी एक औरत है.
छोटे-छोटे बाल रखती है
ऑफीस जाती है
बोतल का दूध पीकर
पले है मेरे बच्चे
साडी पहनती है
शादी- विवाह के मौके पर ही
स्कूटी चलाती है
कहती है
ऑफीस से आने के बाद
थक जाती हू मे
एक दाई रख लो
टी० वी सीरियल देखती है
मे बाहर जाता हू ,
तो कहती है
बिस्कुट या केक खरीद कर खा लेना
कोई वेवक़्त आए ---
तो अच्छा नही लगता.
(४)
मेरी बेटी भी एक औरत है
जीन्स और टीशर्ट पहनती है
इंग्लीश बोलती है
मम्मी-पापा और
आपने भाई-बहन को छोर कर
शायद ही वह किसीको पहचाने
कार चला लेती है
इंटरनेट पर चाटिंग करती है
खाना बनाने क! तो सवाल ही नही
कहती है
अपने मन से
शादी करूगी
शायद राखी सावन्त की तरह
स्वंबर करे.
( Udita Tyagi .. facebook friend)
------------baban pandey
बहुत ही सुन्दर और सार्थक कवितायेँ.
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन सच कहती रचना ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : बेटियाँ,
बिलकुल नया अंदाज ..क्या चिंतन किया है आपने लाजबाब ..मेरी तरफ से ढेर सारी बधाई
जवाब देंहटाएंअच्छी अकविताएँ !
जवाब देंहटाएंसमय और सोच में बदलाव के साथ यह सब अस्वाभविक नहीं
जवाब देंहटाएंपरिवर्तन का परिणाम और हर जगह परिवार की कहानी.....
जवाब देंहटाएंबब्बन भाई साहब ये सब समय के साथ हमारे बदलते रिश्तों की कहानी है हमें स्वीकार कर लेना चाहिए हाँ यदि पुराणी सुगंध मिल जाये तो क्या कहने
जवाब देंहटाएंSab pachchmi sabhyata ka prakop
जवाब देंहटाएंWah kiya rupantaran kiya laga ki ek hi baar me 47 se 2013 me pahuch gaye
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंहर परिवार की अलग-अलग कहानी है... नारी फिर भी नारी है, "माँ" है...
जवाब देंहटाएंमैं...
सुबह सबेरे
द्वार पर
रंगोली सजाती
कभी चाँद सी
रोटियां गढ़ती
कभी बर्तनों से बतियाती
बिता देती हूँ सारा दिन
उलझी रहती हूँ
दिन भर
चौके- चूल्हे में
बिन संवरी
उलझी लटें लेकर
फिर भी....!
साँझ ढले
जाग उठता है
देहरी का दीया
मुझे देखकर....!
आपकी चारों कविताएँ पढीं, पढ़ने में अच्छी लगीं, अच्छा प्रयास है; किन्तु यह कहना आवश्यक लगा कि आपने स्त्री को केवल बाहर से देखा है ....
जवाब देंहटाएंnaari pragati ki or
जवाब देंहटाएंBahut khub, ab nawasi,poti kya karengi ??
जवाब देंहटाएंनारी की पीडा देखकर आंखे भर आती हैं
जवाब देंहटाएं