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सोमवार, 18 जून 2012

ओ मेघ ! तू बरस

ओ मेघ ! तू  बरस
घनघोर बरस
तू उनके लिए  बरस
जिनके कुएं
सरकारी पन्नों पर बने हैं //

ओ मेघ ! तू बरस
घनघोर बरस
फाड़  दे
जनता के कान पर जमे
भाषणों और अश्वाश्नों की काई को //

ओ मेघ ! तू बरस
घनघोर बरस
इतना बरस
टूट जाए तटबंध नदियों की
खोल दे पोल
इन्जिनीर और ठ्केदार के मिलीभगत की //

रविवार, 10 जून 2012

गरजो बादल , बरसो बादल

गरजो बादल , बरसो बादल
सूख गई आँगन की तुलसी
और सूख गई माँ की  आंचल
गरजो बादल , बरसो बादल //

सूख गए है खेत और नदियाँ
सूख गई तरुवर की कलियाँ
सूख गई अधरों की लाली 
सूख गई आँखों का काजल  
गरजो बादल , बरसो बादल //

सूख गया कुयाँ का  पानी
रूठ गई झरनों की वाणी
रूठ गए हैं सारे बुल-बुल
रूठ गई गोरी का पायल
गरजो बादल , बरसो बादल //


सोमवार, 4 जून 2012

आक्सीजन

मुझे नहीं पता था 
पेड़ लगाने का मतलब
पर जब .....
चिड़ियाँ ने पेड़ पर घोसले बनाये
अंडे फूटे
और जब मैंने सुना
अण्डों से निकली बच्चों की चपर-चपर
तब लगा
पेड़ सिर्फ आक्सीजन ही नहीं देते /

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