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सोमवार, 18 जून 2012

ओ मेघ ! तू बरस

ओ मेघ ! तू  बरस
घनघोर बरस
तू उनके लिए  बरस
जिनके कुएं
सरकारी पन्नों पर बने हैं //

ओ मेघ ! तू बरस
घनघोर बरस
फाड़  दे
जनता के कान पर जमे
भाषणों और अश्वाश्नों की काई को //

ओ मेघ ! तू बरस
घनघोर बरस
इतना बरस
टूट जाए तटबंध नदियों की
खोल दे पोल
इन्जिनीर और ठ्केदार के मिलीभगत की //

15 टिप्‍पणियां:

  1. जबरजस्त ...सार्थक रचना भाई जी !

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  2. खेतों और किसानों और लोगों की प्‍यास बुझा दे मेघ, बाकी काम के लिए तो पूरी पलटन तैयार है.

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  3. बहुत ही सार्थक रचना । आज के दौर में सरकारी कामो में जो गफले चल रहे हैं उसे उजागर कर दिया

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  4. सुन्दर और प्रासंगिक रचना ...............

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  5. वर्षा ऋतू ... पोल खोलक भी होती है आज पता .... चला वाह सर जी

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  6. vyangya . sarkari tantra par:)
    behtareen... varsha ritu bata hi deti hai. kya kaise kyon chal raha hai files me:)

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  7. bahut sunder likha aapne....sahi hai pol khulne do jara unki bhi...

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  8. सरकारी मशीनिरी और आम जन कि अकर्मन्यता पर बेहतरीन कटाक्ष...

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  9. ओ मेघ ! तू बरस
    घनघोर बरस
    इतना बरस
    टूट जाए तटबंध नदियों की
    खोल दे पोल
    इन्जिनीर और ठ्केदार के मिलीभगत की //
    बेहतरीन कटाक्ष...

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  10. पोल खोलने वाले मेघ...रोचक...कितनों को भयभीत कर रहे होंगें...

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  11. वर्षा की पहली फुहारों ने बगीचों के फूलों ,हरी पत्तियों को नहला सा दिया , लाल गुलमोहर .. जो वर्षा ऋतू में कम ही दिखाई देते हैं , ने मानो ... नै लाल रंग की लिपस्टिक लगा ली है // हरी पत्तियों के ऊपर के धूल हट जाने से ... फोटो सिंथेसिस तेजी से शुरू हुआ ... जिससे उनकी हरीतिमा ... में अनोखा सौन्दर्य छाया गया है ... आइये वर्षा ऋतू के आने के बाद .. प्रकृति में आये बदलाब का अवलोकन करे

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