हर पत्ते पर नाम लिखूंगा
हर पंखुड़ी पर गीत
कोई नहीं और है दूजा
तुम केवल ,मेरे मनमीत //
हर तितली संदेशा भेजे
हवा तुम्हारी यादों में गाये
ओ मेरी सजनी , जल्दी आ तू
अब समय रहा है रीत //
कोई नहीं और है दूजा
तुम केवल ,मेरे मनमीत //
झरने की जल सी तू पावन
हो जहां तुम ,वही है सावन
मर चूका मेरे दिल का रावण
सुन-सुन तेरे आँचल का संगीत
कोई नहीं और है दूजा
तुम केवल ,मेरे मनमीत /
(चित्र मेरी श्रीमती जी नीलू पाण्डेय जी का है )
उनका जिक्र,उनकी तम्मना,उनकी याद,
जवाब देंहटाएंवक्त कितना कीमती है इन दिनों,,,,,,,,"शकील"
RECENT POST : समय की पुकार है,
स्वागत आपका ... धीरेंद्रे जी
हटाएंवाह ..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
बहुत ही खूबसूरत लिखे हैं सर!
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर...बहुत अच्छा लगा नीलू जी से मिलकर. आप दोनों को शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने
शुभकामनाएं
अच्छा लगा नीलू जी से मिलकर. आप दोनों को शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंलगता है भाभी जी मायके में हैं...विरह में ही आतंरिक भावों का सृजन होता है...बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंजज्वे का अच्छा इज़हार !
जवाब देंहटाएंप्रियतम ने प्रियतमा को रिजाने के लिए किया प्रयास सुन्दर हे
जवाब देंहटाएंप्रियतम ने प्रियतमा को रिजाने के लिए किया प्रयास सुन्दर हे
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएं