दोस्तों के ईदगाह हो तुम मेरे ख्यालों के चारागाह हो तुम उर्वशी की रूप हो तुम जाड़े की धूप हो तुम //
नाजो -शोख में पली हो माचिस की तिली हो क्यों ओस सी चुप हो तुम जाड़े को धूप हो तुम प्रस्तुतकर्ता बबंपन अरे क्या बात है पांडे जी -सत्य ही रहता नहीं ये ध्यान ,तुम ,कविता ,कुसुम या कामनी हो ,.....गुनगुनी सी धुप हो ,इश्क की आंच हो ,जान हो मेरी .
बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 26-11-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
बहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 26-11-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
वाह,,,बहुत खूब सुंदर रचना,,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : प्यार न भूले,,,
वाह क्या बात है अनोखा अलग अंदाज
जवाब देंहटाएंअरुन शर्मा
www.arunsblog.in
achhi abhivyakti
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जवाब देंहटाएंदोस्तों के ईदगाह हो तुम
मेरे ख्यालों के चारागाह हो तुम
उर्वशी की रूप हो तुम
जाड़े की धूप हो तुम //
नाजो -शोख में पली हो
माचिस की तिली हो
क्यों ओस सी चुप हो तुम
जाड़े को धूप हो तुम
प्रस्तुतकर्ता बबंपन
अरे क्या बात है पांडे जी -सत्य ही रहता नहीं ये ध्यान ,तुम ,कविता ,कुसुम या कामनी हो ,.....गुनगुनी सी धुप हो ,इश्क की आंच हो ,जान हो मेरी .
झुलसा देती ग्रीष्म में, गोरा-गोरा रूप।
जवाब देंहटाएंकिन्तु सुहानी सी लगे, शीतकाल में धूप।।
जाडों की धूप हो तुम---
जवाब देंहटाएंप्यार के अनेक रंग होते हैं.सुंदर
वाह . देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग रहिये.
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