हर भूखे को चाँद भी रोटी नज़र आता है
जिधर देखो , हर दिल टुटा नज़र आता है //
कुछ इस कदर हिल गया है,विश्वास का पेड़
अब तो हर दोस्त भी ,दुश्मन नज़र आता है //
बहुत बढ़ गया है प्रदूषण , हमारे पर्याबरण में
अब तो हर पेड़ भी , सुखा नज़र आता है //
चीनी खाते है हमसब, मगर मुह में मिठास नहीं है
हर आवाज़ में अब क्यों , कडवाहट नज़र आता है //
आज के युग का कड़वा सच ....वाह क्या बात है "कुछ इस कदर हिल गया है,विश्वास का पेड़
जवाब देंहटाएंअब तो हर दोस्त भी ,दुश्मन नज़र आता है //"
बधाई हो बबन जी इस रचना के लिए
Bahut sundar vichaar.
जवाब देंहटाएंbahut sundar !
जवाब देंहटाएंहर भूखे को चाँद भी रोटी नज़र आता है
जवाब देंहटाएंजिधर देखो , हर दिल टुटा नज़र आता है| bahut khoob.....
dekh tere sansar ki halat kya ho gaye bhagwan......................
जवाब देंहटाएंSituation has become... serious... in every field of life. good post sir..
जवाब देंहटाएंsituation has become u turn in every field... a great expression
जवाब देंहटाएंकुछ इस कदर हिल गया है,विश्वास का पेड़
जवाब देंहटाएंअब तो हर दोस्त भी ,दुश्मन नज़र आता है //
बहुत सुंदर और सटीक अभिव्यक्ति...
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ!
behtareen prastuti...
जवाब देंहटाएंचीनी खाते है हमसब, मगर मुह में मिठास नहीं है...
चीनी खाते है हमसब, मगर मुह में मिठास नहीं है
जवाब देंहटाएंहर आवाज़ में अब क्यों , कडवाहट नज़र आता है
बहुत बढ़िया.....
चाँद/रोटी/त्रिवेणी/गुलजार...!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा सृजन...
सादर।
बबन भाई जी कविता के शब्द अतीत के हो चुके जो प्रक्रति के गहने थे ...और वर्तमान के शब्द हावी उनपर ..उसका कारन प्रकृति को लूट लिया इंसानों ने ...अब वो कही छिपी बेठी है उन पलों/शब्दों ...जो उस से प्यार करता है उसके पास जाती है बाकि ...को सब वही दीखता है तो वर्तमान मैं कविता के शब्द है ....बढ़िया बबन जी !!!!!!1Nirmal Paneri
जवाब देंहटाएंa real story that exists in the society... beautiful post .. congratulation
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