जी करता है ....
तेरी यादों से खेलूं
जी करता है ....
तेरे सपनों में जी लूं //
जी करता है ...
तेरा यौवन छू लूं
जी करता है ....
तेरे नयनों को पी लूं //
जी करता है ...
तेरी साँसों में बसकर
फूलों को महका दूँ
जी करता है ...
तेरे उर में घुसकर
अंग-अंग दहका दूँ //
जी करता है ...
तुमको फिर से पा लूं
जी करता है ...
तुमसे मिलकर जी भर रो लूं //
बहुत सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंvaah -- Jee kartaa hai--- bahut khub.
जवाब देंहटाएंग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंगुफ्पगूं बंद न हो
बात से बात चले
सुबह तक शामे मुलाकात चले
जहां प्रेम के शब्द उठते हों, जहां हृदय के शब्द उठते हों, जहां अंतर तम बोलता हो, तो उसे बोलने देना।
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ताजा हवा के एक झोंके समान !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया मन के उठते भावों की खुबशुरत प्रस्तुति,....
जवाब देंहटाएंRESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...
भाव शिखर पर बैठ प्रेयसी करती यह आलाप ..
जवाब देंहटाएंbahut khub sundar rachana....
जवाब देंहटाएंhttp://easybookshop.blogspot.in
वाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रेमाभियक्ति !
जवाब देंहटाएंजी करता है ...
जवाब देंहटाएंतेरी साँसों में बसकर
फूलों को महका दूँ..
बहुत सुन्दर प्रेमाभियक्ति !
जी करता है ....
जवाब देंहटाएंतेरी यादों से खेलूं
जी करता है ....
तेरे सपनों में जी लूं //
a new dimension of love sir.. perhaps... this is the new concept//