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शनिवार, 28 मई 2011
अब तो इन्द्रधनुष भी फीके
तेरी लम्बी -लम्बी चोटी में
हर कोई उलझना चाहे
तेरी सांसो की खुशबू में
हर कोई तरसना चाहे
संग-संग तेरे बोल-बैठ कर
हर कोई महकना सीखे
तेरे गालों की डिम्पल के आगे
अब तो इन्द्रधनुष भी फीके //
नाक नुकीली ,नयन हैं तीखे
अधरें तेरी कमल सरीखे
तुम्हें देख, तितली शरमाई
और भौरों ने ली अंगडाई
है दूब पर बैठी जब तुम
ले रही थी ,पवन के झोंकें
संग-संग रह कर तेरे
सूख गए अब दिल के फोके //
तेरे गालों की डिम्पल के आगे
अब तो इन्द्रधनुष भी फीके //
वाह ! काजल वाह!
बिहार के मधुबनी जिला के हरलाखी प्रखंड के एक कुमारी कन्या के मुखिया पद पर चुने जाने की घटना से बदलाब की हवा और मजबूत हुई है । मेरे विचार से समाजशास्त्र में स्नातक काज़ल कुमारी का ध्यान सबसे पहले आँगन बाड़ी केन्द्रों को सुचारू रूप से चलाने में होना चाहिए । प्रखंड के पदाधिकारियो, प्रमुख, और मुखिया की शेअरदारी को ख़त्म करने की पहल उनके द्वारा की जानी चाहिए ताकि बच्चों आयर गर्भवती महिलायों को योजना का वास्तविक लाभ मिल सके
गुरुवार, 19 मई 2011
आगोश
गुरुवार, 5 मई 2011
कावं-कावं हो गई जिंदगी
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