मैं ही नहीं ,आप भी शोक में हैं
मुसीबतें खुदरा में नहीं ,थोक में हैं //
हम भी गरीब हैं ,आप भी मुस्लिफी में है
पैसा तो ,नेता बने हर जोंक में हैं //
सड़कें बन रही ,विकास के नाम पर
इसलिए हर किसान अब जोश में हैं //
सूखे रसबेरी में अब रस भर ही जायेगी
क्योकि वह अब आपके आगोश में है //
वाह्…………हमेशा की तरह व्यंग्य की धार शानदार है।
जवाब देंहटाएंbaban bhai...... barhiya.....
जवाब देंहटाएंहम भी गरीब हैं ,आप भी मुस्लिफी में है
जवाब देंहटाएंपैसा तो ,नेता बने हर जोंक में हैं //
बहुत खूब व्यंग है
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (21.05.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
In netao ne jina hram kar rakha hai. . . Bahut khub. . .
जवाब देंहटाएंJai hind jai bharat
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति . दिल की गहराइयों से ओमदे(umde) जज्बात हैं शायद. अति प्रभावी !
जवाब देंहटाएंनज़्म अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंसूखे रसबेरी में अब रस भर ही जायेगी,
जवाब देंहटाएंक्यूंकि वह अब आपके आग़ोश में है।
बेहतरीन ख़यालात का मुज़ाहिरा किया है आपने , बधाई।
मुसीबतें खुदरा में नहीं ,थोक में हैं...बजा फ़रमाया ...
जवाब देंहटाएंनज़्म अच्छी.
जवाब देंहटाएंभावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण... संवेदनशील रचना ...
जवाब देंहटाएंसूखे रसबेरी में अब रस भर ही जायेगी
जवाब देंहटाएंक्योकि वह अब आपके आगोश में है //
baat pasand aayee ! :-)
हम भी गरीब हैं ,आप भी मुस्लिफी में है
जवाब देंहटाएंपैसा तो ,नेता बने हर जोंक में हैं //
bahut khoob likha hai ...!!
बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत तीखा व्यंग .... बहुत सुंदर रचना .....
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व्यंग..बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिखा है अपने इस मैं कमी निकलना मेरे बस की बात नहीं है क्यों की मैं तो खुद १ नया ब्लोगर हु
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों से मैं ब्लॉग पे आया हु और फिर इसका मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा क्यों की जब मैं खुद किसी के ब्लॉग पे नहीं गया तो दुसरे बंधू क्यों आयें गे इस के लिए मैं आप सब भाइयो और बहनों से माफ़ी मागता हु मेरे नहीं आने की भी १ वजह ये रही थी की ३१ मार्च के कुछ काम में में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाया
पर मैने अपने ब्लॉग पे बहुत सायरी पोस्ट पे पहले ही कर दी थी लेकिन आप भाइयो का सहयोग नहीं मिल पाने की वजह से मैं थोरा दुखी जरुर हुआ हु
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/
वाह...बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिखा है....बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंBabbabji; khoob! aap muflisi kehna chah rahe hain?( muslifi maine abhi smjha nahin)
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर
जवाब देंहटाएंमुसीबतें खुदरा में नहीं ,थोक में हैं //
जवाब देंहटाएंपैसा तो ,नेता बने हर जोंक में हैं //....Babbanji chotdar sa..ras.