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शनिवार, 28 मई 2011
अब तो इन्द्रधनुष भी फीके
तेरी लम्बी -लम्बी चोटी में
हर कोई उलझना चाहे
तेरी सांसो की खुशबू में
हर कोई तरसना चाहे
संग-संग तेरे बोल-बैठ कर
हर कोई महकना सीखे
तेरे गालों की डिम्पल के आगे
अब तो इन्द्रधनुष भी फीके //
नाक नुकीली ,नयन हैं तीखे
अधरें तेरी कमल सरीखे
तुम्हें देख, तितली शरमाई
और भौरों ने ली अंगडाई
है दूब पर बैठी जब तुम
ले रही थी ,पवन के झोंकें
संग-संग रह कर तेरे
सूख गए अब दिल के फोके //
तेरे गालों की डिम्पल के आगे
अब तो इन्द्रधनुष भी फीके //
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क्या बात कही है ...
जवाब देंहटाएंतेरे गालों की डिम्पल के आगे
अब तो इन्द्रधनुष भी फीके
बहुत सुंदर ........
जवाब देंहटाएंकम से कम करीब तो आए ....
वरना दूर जाते क्या देर लगती है !!
ये इक्कीसवीं सदी का इन्द्रधनुष है...डिम्पल के आगे फीका पड़ जाये...नामुमकिन है मेरे दोस्त...
जवाब देंहटाएंTERI MUSKURAHAT MAIN JAB DIMPAL DEKHTA HOON TO KASAM SE SARI DUNIYA BHOOL JATA HOON
जवाब देंहटाएंek khubsoorat rachna....
जवाब देंहटाएंAakarshan
sunder rachna. badhai .
जवाब देंहटाएं:):) खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी के आगे डिम्पल भी फीका है..
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