पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ | आपकी सारी रचनाएं पढ़ी बहुत अच्छा लगा ! अफ़सोस है की पहले क्यों नहीं आया आपके पोस्ट पर ! कृपया मेरे ब्लॉग पर आयें http://madanaryancom.blogspot.com/
अरे --तीनो क्षणिकायें शानदार और जानदार । नाव का डूवना और मोरनी का भगाना । तीसरी क्षणिका- सर हमारे यहां मध्यप्रदेश में कहाबत है दीवाल को खाये आला और घर को खाये साला। आला बोले तो कच्ची दीवारों में छोटी अलमारी जैसा ही कुछ
बहुत रोचक क्षणिकायें....
जवाब देंहटाएंपहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ |
जवाब देंहटाएंआपकी सारी रचनाएं पढ़ी बहुत अच्छा लगा !
अफ़सोस है की पहले क्यों नहीं आया आपके पोस्ट पर !
कृपया मेरे ब्लॉग पर आयें http://madanaryancom.blogspot.com/
सालों की बुराई...पब्लिकली...सही नहीं...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई।
जवाब देंहटाएंवह पाण्डेय जी आपने तो कमाल ही कर दिया !मेरे ब्लॉग पर् भी आये आने के लिए यहाँ क्लिक करे - "samrat bundelkhand"
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
जवाब देंहटाएंसुंदर क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंसाभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
अरे --तीनो क्षणिकायें शानदार और जानदार । नाव का डूवना और मोरनी का भगाना । तीसरी क्षणिका- सर हमारे यहां मध्यप्रदेश में कहाबत है दीवाल को खाये आला और घर को खाये साला। आला बोले तो कच्ची दीवारों में छोटी अलमारी जैसा ही कुछ
जवाब देंहटाएंKshan bhar ko stabdh raha main,
जवाब देंहटाएंpadh kar ye kshanikayen...'
kash aap hamein nit din...
aisi hi kavita se nahlaayen..
bheeng gaya...achha laga