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गुरुवार, 30 जून 2011

फूल तो नादान है


हवा जब गुस्सा होती है
सीटी बजाती है
बादल जब गुस्सा होती है
बिजली चमकाती है
नदी जब गुस्साती है
बाढ़ लाती है //


हवा, बादल और नदियों ने
सीख लिया है दुनियादारी
फूल तो नादान हैं
उन्होंने सिर्फ मुस्कुराना सीखा है //

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.......

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  2. मुस्कुराते है फूल क्यों

    सागर में तूफ़ान आया
    नदी में उफान लाया
    क्रोधित हुआ जब भी बादल
    नभ में विद्युत का कौंध लाया
    क्रुद्ध धरा ने तज दिया जीवन
    क्रुद्ध पवन तो ध्वस्त हुआ सब
    विहग रुष्ट तो तज दे भोजन
    मानव रुष्ट तो तहस-नहस सब
    क्रोध जवाल की ज्वाला में
    हुए होम सब अवनि अम्बर
    बस एक तत्व धरती पर ऐसा
    ना हो विचलित ध्रुव तारे जैसा
    हँसता है वह हर परिस्थिति में
    देता सौरभ विषम स्थिति में
    भेद समझ ना पाया मानस
    उठे ज्वार जब उसके अंतस
    कैसे कर पाता है वश में
    कैसे हँसता है हर पल में
    नाजुक तन है नाजुक मन है
    हँसना ही है काम निरंतर
    झर जाता है पांखुर पांखुर
    क्रोध अगर छू ले तनिक भर

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  3. जी हाँ प्रत्येक के अलग-अलग अंदाज है अपने भावों को प्रकट करने का. सुन्दर रचना.

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