माँ.... लोग तुम्हें बुढ़िया कहते हैं अब, जब निकलने लगे हैं मुझमें यौवन के पंख तब आईने में देखकर आश्वस्त हो जाती हूँ कि..... लाखों में एक होगी मेरी माँ// गन्दी ज़वान पर लोग ताला क्यों नहीं लागते //
बहुत बढ़िया लिखा है सर! ------------------ कल 21/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है- आपके विचारों का स्वागत है . धन्यवाद नयी-पुरानी हलचल
बहुत अच्छी बात कही है आपने कि कविता पढने की नहीं समझने की चीज है।आफिस की फाइलों की तरह सरसरी नजर डाल देना कविता पढना नहीं है। जैसे आपने इस रचना में लिखा है -मां की उम्र कुछ भी क्यों न होजाये ,कितनी ही अस्वस्थ्य बीमार हो , बेटी के सामने उसे कोई बुढिया कहेगा तो बुरा लगेगा ही बेटी को। बेटा एक दफे सुन भी सकता है । इस लिये इस रचना की विशेषता यह है कि यह लडके के बजाय लडकी की तरफ से लिखी गई है। अब देखिये बुढिया को बुढिया कहने पर बेटी को कितना गुस्सा आता है कि वह इस भाषा को गंदी जबान कहती है ।सही है जी बेटियां ही मां बाप को चाहती है।अच्छी कविता पढी आज ।ं तबीयत खुश हो गई
barhiya....
जवाब देंहटाएंgood one, baban bhai...
जवाब देंहटाएंअंतर्मन को झकझोर दिया आपने ..बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिखा कमाल... एक बेटी की भावना आपने कैसे समझ ली .. बहुत खूब उम्दा..
जवाब देंहटाएंnice post... bihar me aap kahan ke rahne wale hain sriman...
जवाब देंहटाएंBETI SE ACH6A MAA KO KAUN SAMJH SAKTA HAI
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है सर!
जवाब देंहटाएं------------------
कल 21/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है-
आपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल
बहुत अच्छी बात कही है आपने कि कविता पढने की नहीं समझने की चीज है।आफिस की फाइलों की तरह सरसरी नजर डाल देना कविता पढना नहीं है। जैसे आपने इस रचना में लिखा है -मां की उम्र कुछ भी क्यों न होजाये ,कितनी ही अस्वस्थ्य बीमार हो , बेटी के सामने उसे कोई बुढिया कहेगा तो बुरा लगेगा ही बेटी को। बेटा एक दफे सुन भी सकता है । इस लिये इस रचना की विशेषता यह है कि यह लडके के बजाय लडकी की तरफ से लिखी गई है। अब देखिये बुढिया को बुढिया कहने पर बेटी को कितना गुस्सा आता है कि वह इस भाषा को गंदी जबान कहती है ।सही है जी बेटियां ही मां बाप को चाहती है।अच्छी कविता पढी आज ।ं तबीयत खुश हो गई
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