राह में हैं कटीले कंकड़ ,तो क्या चलना बंद कर दूँ
ख़बरें छपी है फरेब की ,तो क्या पढना बंद कर दूँ ....//
मैं झूठ का तड़का नहीं लगाता, सच की दाल में
उन्हें बुरा लगता है ,तो क्या लिखना बंद कर दूँ ...//
सारी दुनिया पीछे पड़ी है,सच का गला दबाने में
नहीं मरता सच , तो क्या मैं उसे नज़रबंद कर दूँ ॥//
तुफानो से टकराने में भला किश्ती,कब डरा करती है
पडोसी सुनते हैं मेरी बात ,तो क्या मैं खिड़की बंद कर दूँ ...//
वाह !
जवाब देंहटाएंसारी दुनिया पीछे पड़ी है,सच का गला दबाने में
जवाब देंहटाएंनहीं मरता सच , तो क्या मैं उसे नज़रबंद कर दूँ ॥//
सच तो कभी नज़रबंद हो ही नहीं सकता .. अच्छी प्रस्तुति
दिल-दिमाग के खुलें सब खिड़की-दरवाजे.
जवाब देंहटाएंकिसी को खराब लगे तो कोई लिखना थोड़े ही बंद कर देगा...
जवाब देंहटाएंन ही सच को नजरबंद किया जा सकता....
बहुत बढ़िया...
ख्यालात में बगावत है जो कि परिवर्तन के लिए बहुत ज़रूरी है
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति है उस बगावत की......आप को बधाई
राह में हैं कटीले कंकड़ ,तो क्या चलना बंद कर दूँ
जवाब देंहटाएंख़बरें छपी है फरेब की ,तो क्या पढना बंद कर दूँ ....//
bahut achhi pantiya
Bilkul na band karein koyi bhi wo kam,
जवाब देंहटाएंjis se man ko mile chain aur aaraam..
agar sochna band kar dein ghabra kar ham sab,
to zindgi ki gaari ko lag jaaye poorn viraam.
Bahut achha likha aapne...sadhuvaad
प्रत्येक लाइन एक हौसला देती, जीने की कला सिखाती। "सबसे बडा रोग क्या कहेंगे लोग"। राह में कंकड भी मिलेगे ,फरेब की खबरें भी छपेगी मगर सहन करते हुये आगे बढना "सच नहीं मरता" का प्रयोग उचित स्थान पर किया गया है। यह भी ठीक लिखा है कि यदि कोई अपनी बात सुन रहा हो तो क्या खिडकी बन्द की दी जाये। उत्तम रचना
जवाब देंहटाएंलेकिन दौनों में झगडा होरहा हो तो खिडकी बन्द कर ही देना चाहिये ताकि पडौसी उस झगडे का आनंद न ले सके या फिर इशारों में ही लडना चाहिये ।
मैं झूठ का तड़का नहीं लगाता, सच की दाल में
जवाब देंहटाएंउन्हें बुरा लगता है ,तो क्या लिखना बंद कर दूँ ...//
हौसला बुलंद करती जोश से भरी बहुत सुन्दर रचना..... बेहतरीन प्रस्तुति
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंतुफानो से टकराने में भला किश्ती,कब डरा करती है
जवाब देंहटाएंपडोसी सुनते हैं मेरी बात ,तो क्या मैं खिड़की बंद कर दूँ ...//
हर पंक्ति लाज़वाब...सार्थक सन्देश देती सुन्दर रचना..
नज़्म के लिहाज से...गज़ब के भाव और बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंअस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
जवाब देंहटाएंआप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
bahut khoob........... baban bhai... yun hi likhate rahiye...
जवाब देंहटाएंaakarshan
मैं झूठ का तड़का नहीं लगाता, सच की दाल में
जवाब देंहटाएंउन्हें बुरा लगता है ,तो क्या लिखना बंद कर दूँ
सारी दुनिया पीछे पड़ी है,सच का गला दबाने में
नहीं मरता सच , तो क्या मैं उसे नज़रबंद कर दूँ
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
वाह! क्या बात है बब्बन भाई.
जवाब देंहटाएंगजब का लिखते हैं आप
अजब से प्रश्न करके.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
padhna band kar denge to fereb badh jayega
जवाब देंहटाएंlikhna band kar denge to jhuth sar chad jayega
sach ko najarband kar denge to ladai ruk jayegi
khidki band kar denge to saans ruk jayegi
apna kuch band mata kariye
bas dil kholnein hai yaad rakhiye
utkrish kriti per hardik badhayi
ख़बरें छपी है फरेब की ,तो क्या पढना बंद कर दूँ ....//
जवाब देंहटाएंg nahi padhna band mat kariye khoob padho
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जवाब देंहटाएंinteresting blog.
जवाब देंहटाएंbahut kub
जवाब देंहटाएंmare blog pe aane ke leye savagth hai
http://bachpan ke din-vishy.blogspot.com
Bebaaq nazariya... badhaai... :)
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंलिकं हैhttp://bachpan ke din-vishy.blogspot.com/
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भिक्षाटन करता फिरे, परहित चर्चाकार |
जवाब देंहटाएंइक रचना पाई इधर, धन्य हुआ आभार ||
http://charchamanch.blogspot.com/
लाज़वाब .... सादर...
जवाब देंहटाएंaapke blog par pahli baar charcha manch ke madhyam se aai hoon aana sarthak raha ek damdaar kavita padhne ko mili.maja aa gaya padh kar.MAIN KYA KARUN...bahut achchi kavita.mere blog par sadar aamantrit hain.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...बधाई
जवाब देंहटाएंरचना चर्चा मंच पर है आज ||
जवाब देंहटाएंबब्बन जी ...क्या लाजवाब काव्य-प्रश्नावली है.
जवाब देंहटाएंमैं कहता हूँ कि ...
"जहाँ इतनी खूबसूरत प्रस्तुति हो
तो कैसे बांचना बंद कर दूं"