followers

गुरुवार, 12 जनवरी 2012

आओ न, बातें करते हैं


नरम बातें
तो कभी गर्म बातें
हसीन बातें
तो कभी गमगीन बातें
कभी बे-सिर पैर की बातें कर
झगडा मोल लेते हैं लोग //

चुप क्यों बैठे हो यार !
अब झगडा किसी से भी हुआ हो ....
पत्नी से /प्रेमिका से /बॉस से ही
आओ बातें करते हैं
क्योकि .....
बातों से ही बात बनती हैं

12 टिप्‍पणियां:

  1. Sabse pehle Shukriya mera blog par aane ke liye aage bhi aate rahiyega.

    Bahut sunder rachna hai aapki aur bilkul sahi kaha hai baaton se hi baat banti hai..

    Aabhaar...!!

    जवाब देंहटाएं
  2. क्योकि .....
    बातों से ही बात बनती हैं ,
    लगता है कोई बात बिगड गई है,....

    सुंदर पोस्ट ,........

    जवाब देंहटाएं
  3. बातों की व्याख्य बहुत ही संजीदगी से किये हैं |धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  4. बेबात की बात, कभी बात की बात.

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति...आपकी यह कविता दिल को छु गयी... उम्दा

    जवाब देंहटाएं
  6. वाकई बब्बन जी बात से ही बात बनती है.. बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर अभिव्यक्ति....

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें


    vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........

    जवाब देंहटाएं
  8. baat to sahi Hai Baban bhai sahib ......baat se baat ban jaati hai ...khiski thee jo patri se vo gaadhi patri par laut aati hai .....poonam

    जवाब देंहटाएं
  9. आओ बातें करते हैं
    क्योकि .....
    बातों से ही बात बनती हैं

    बिलकुल सही बात है ... वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...

    जवाब देंहटाएं

मेरे बारे में