( बाल कविता लिखना भी आसन नहीं होता, मैंने एक प्रयास किया है )
तप रही है सारी धरती
आग उगल रही आकाश //
क्या पीयेगें , वन के प्राणी
कहाँ टिकेगें , सारे नभचर
सिकुड़ गयी है पेट सभी की
सूख गयी है अब सारी घास //
सूख गए सब ताल- तल्लैया
और मर गयी मछली रानी
दादा-दादी हैं सब लथ -पथ
अब मैं जाऊ किसके पास //
vednaa se bhare shabd,,,,,baban ji atyant maarmik kavitt .
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सुमन जी .... हौसला आफजाई करती रहे
जवाब देंहटाएंबब्बन जी ... बाल कविता ... कितनी सहज होनी चाहिए आज पता चला
जवाब देंहटाएंप्रशंशनीय प्रयास .कम लोग ही लिख रहें हैं बाल गीत .
जवाब देंहटाएंलिखो भैया बाल गीत ,
करो सबसे प्रीत ,
छोड़ लड़ाई झगडा ,
बनो सके मीत .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
बुधवार, 23 मई 2012
ये है बोम्बे मेरी जान (अंतिम भाग )
http://veerubhai1947.blogspot.in/
यहाँ भी देखें जरा -
बेवफाई भी बनती है दिल के दौरों की वजह .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंachhi lagi baal kawita.... बहुत खूब.... आपके इस पोस्ट की चर्चा आज 24-5-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित होगी... धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...
जवाब देंहटाएंजिस दुखदायी स्थिति वर्णन आपने कविता के माध्यम से किया है, यह दुखद स्थिति के सृजनकर्ता और कोई नहीं हम सब ही हैं... स्वार्थ में वशीभूत आखें भविष्य के इस स्थिति को देख ही नहीं पायी आज हम दुखी हैं... प्रकृति व्यक्ति और सभी प्राणी के सुख-समृद्धि के लिए सब कुछ दिया पर विवेकहीनता हमें आज इस स्थिति में खड़ा कर दिया है की हम खुद से पूछ रहे हैं कि अब कहीं जाएँ!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ....मन खुश हो गया पढ़ कर
जवाब देंहटाएंजी हाँ!
जवाब देंहटाएंबहुत गर्मी पड़ रही है।
KHUBSURAT BAAL GEET. BHW PRADHAN KAM SHABDON ME PRAKRITI KA SUNDAR WARANAN
जवाब देंहटाएंBADHAI SWIKAREN.
SORRY BHAW
जवाब देंहटाएंमौसम ही गर्म है,
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,
आभार शेखर जी ... आशा है मेरी बाल-कविता सबका मोहेगी
जवाब देंहटाएंसुंदर.......सीधी.......सरल................
जवाब देंहटाएंबधाई.
अनु
सूख गए सब ताल- तल्लैया
जवाब देंहटाएंऔर मर गयी मछली रानी
दादा-दादी हैं सब लथ -पथ
अब मैं जाऊ किसके पास //
प्रकृति का सुन्दर चित्रण.
Very nice post.....
जवाब देंहटाएंAabhar!
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