नेपाल की लडकियां बड़ी मस्त होती हैं साब ! कहते हुए उस लड़की ने बड़े प्यार से वीयर भरा ग्लास मेरी और बढ़ाया . किसी लड़की के हाथों वीयर पीने का यह मेरा पहला अनुभव था . वीयर को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए मेरे सामने टेल हुए मछलियों के कुछ टुकड़े भी थे . उस लड़की से कुछ और बाते कर पाटा उससे पहले ही वह उठ कर चली गयी शायद और ग्रहाक आ गए थे.
मैं गंडक बराज के नेपाल वाले छोर पर शाम को घुमने आया था . इस छोर पर १५-२० दुकाने है जो सब अस्थाई रूप से बनी हैं . किसी का छत तिन की है तो किसी के पुआल और खपड़े के .
सब दुकानों के आगे नेपाली महिलायें ही आपका स्वागत मुस्कुराकर करती है और अगर आप ज़रा भी पीने से वास्ता रखेते हैं , तो बिना इन दुकानों में घुसे बिना नहीं रह सकते
बराज पर पुल होने के कारण नेपाली लोगों का भारतीय क्षत्र में और भारतीय लोगो का नेपाल में लगातार आना-जाना बना रहता है . पुल के प्रवेश द्वार पर सीमा-सुरक्षा बल के जवान तैनात हैं जो आपके द्वारा ले जाई जा रही समानों की जांच करते है
थोड़ी देर बाद वह लड़की पुनः लौटी वीयर से खली हुए ग्लास में फिर से वीयर भर दी . "तुम्हारा नाम क्या है".. मेरे पूछते ही वह मुस्कुराते हुए बोली - विष्णु .
उम्र करीब २८ वर्ष, की होगी गठा शारीर और उन्नत उरोज ,हलके रंग की लिपस्टिक भी लगाईं थी उसने अपने अधरों पर . कसी समीज-सलवार में वह पुरे यौवन में दिख रही थी . शायद उसने यह श्रींगार ग्राहकों को लुभाने के मकसद से की होगी // मुझे लगा प्रकृति नेपाल पर मेहरबान है एक ओर जहां नेपाल में प्राकृतिक दृश्यों की भरमार है ,वही दूसरी और मानव को बनाने वाला इश्वर ने भी नेपाली लड़कियों में जीभरकर सुन्दरता का लेप चढ़ा दिया है
.मुश्किल से उसकी वीयर की दूकान 25 x 15 फिट माप की होगी . एक छोटे से कमरे में वह रहती थी . एक फ्रिद्गे था जिसमे वीयर और कोल्ड ड्रिंक की बोतलें ठंढी हो रही थी . एक कोने में गैस और चूल्हा, जिस पर मछलियों को फ्राय कर ग्राहकों को परोषा जाता था
"सूर्य अस्त-नेपाल मस्त " गलत नहीं कहते थे मेरे ऑफिस के लोग . लगता है यहाँ सब लोग अपनी अपनी हैसीयत के मुताबिक़ जरुर पीते हैं
ये मछलियाँ कहाँ से लाती हो - पूछने पर विष्णु ने बताया कि ये सभी मछलियाँ गंडक नदी की है , जो सुबह=सुबह बराज पर भरी मात्र में मिलती हैं . कुछ भारतीय लोग यहाँ से मछलियाँ खरीद कर काठमांडू ले जाते है जहां यह दुगुने या तिगुने भाव में बिकती हैं /
जाति पूछने पर विष्णु अपने को उपाध्याय ब्रह्मिण बताती है मेरे यह कहने पर कि मेरा नाम विनोद पाण्डेय है और भी ब्राह्मण हूँ , वह अपने बारे में बताने लगी . वह पांच बहनें है . उसके पिताजी अब वृद्ध हो चुके हैं ,मगर अपनी जवानी में वे नेपाली कांग्रेस के सक्रिय सदस्य थे . थोड़ी सी खेती-बारी से उनका घर चलता था . मुझे आश्चर्य हुआ कि विष्णु कि सभी बहनें दूकान खोलकर वीयर परोसती हैं
विष्णु की मुस्कुराहट से या उसकी अदा से , मैं उसके प्रति आकर्षित हो चला था . कम से कम सप्ताह में एक बार उसके हाथों से वीयर पी लेने में बड़ा सकून महसूस होता था .
एक दिन मैंने विष्णु की दूकान पर एक और बहुत ही खुबसुरत और यौवन से लबरेज कमसिन लड़की को वीयर परोसते देखा . न चाहते हुए भी मैं उसके दूकान में घुस गया और विष्णु से पूछा - यह नै लड़की कौन है ?
मेरी छोटीबहन है .."माया" कल ही कुवैत से लौटी है , आइये ना , बातें कीजिये मैं विष्णु के निजी कमरे में बैठकर माया से गप्प करने लगा .
माया .. मानों उसके शरीर का मांस दूध से बना था और होटों पर हलकी लाली यह आभास करा रही थी मानों दूध से भरे बर्तन के बीच एक लाल गुलाब रख दिया गया हो .//
माया ने बताया कि वह आठवी तक पढ़ी है मगर अंग्रेजी नही जानती. ' मैं तुम्हें प्यार करता हूँ ' का नेपाली में अनुवाद क्या होगा - मैंने पूछा
'म तिमी लाइ माया गरछू " कह वह मुस्कुराने लगी
माया के पति ड्राईवर हैं और तीन वर्षों से अर्ब में हैं . यदा-कदा कुछ पैसा भेज देते हैं , माया यहाँ नितांत अकेली थी और विष्णु के पास ही रहती थी
मैं गंडक बराज के नेपाल वाले छोर पर शाम को घुमने आया था . इस छोर पर १५-२० दुकाने है जो सब अस्थाई रूप से बनी हैं . किसी का छत तिन की है तो किसी के पुआल और खपड़े के .
सब दुकानों के आगे नेपाली महिलायें ही आपका स्वागत मुस्कुराकर करती है और अगर आप ज़रा भी पीने से वास्ता रखेते हैं , तो बिना इन दुकानों में घुसे बिना नहीं रह सकते
बराज पर पुल होने के कारण नेपाली लोगों का भारतीय क्षत्र में और भारतीय लोगो का नेपाल में लगातार आना-जाना बना रहता है . पुल के प्रवेश द्वार पर सीमा-सुरक्षा बल के जवान तैनात हैं जो आपके द्वारा ले जाई जा रही समानों की जांच करते है
थोड़ी देर बाद वह लड़की पुनः लौटी वीयर से खली हुए ग्लास में फिर से वीयर भर दी . "तुम्हारा नाम क्या है".. मेरे पूछते ही वह मुस्कुराते हुए बोली - विष्णु .
उम्र करीब २८ वर्ष, की होगी गठा शारीर और उन्नत उरोज ,हलके रंग की लिपस्टिक भी लगाईं थी उसने अपने अधरों पर . कसी समीज-सलवार में वह पुरे यौवन में दिख रही थी . शायद उसने यह श्रींगार ग्राहकों को लुभाने के मकसद से की होगी // मुझे लगा प्रकृति नेपाल पर मेहरबान है एक ओर जहां नेपाल में प्राकृतिक दृश्यों की भरमार है ,वही दूसरी और मानव को बनाने वाला इश्वर ने भी नेपाली लड़कियों में जीभरकर सुन्दरता का लेप चढ़ा दिया है
.मुश्किल से उसकी वीयर की दूकान 25 x 15 फिट माप की होगी . एक छोटे से कमरे में वह रहती थी . एक फ्रिद्गे था जिसमे वीयर और कोल्ड ड्रिंक की बोतलें ठंढी हो रही थी . एक कोने में गैस और चूल्हा, जिस पर मछलियों को फ्राय कर ग्राहकों को परोषा जाता था
"सूर्य अस्त-नेपाल मस्त " गलत नहीं कहते थे मेरे ऑफिस के लोग . लगता है यहाँ सब लोग अपनी अपनी हैसीयत के मुताबिक़ जरुर पीते हैं
ये मछलियाँ कहाँ से लाती हो - पूछने पर विष्णु ने बताया कि ये सभी मछलियाँ गंडक नदी की है , जो सुबह=सुबह बराज पर भरी मात्र में मिलती हैं . कुछ भारतीय लोग यहाँ से मछलियाँ खरीद कर काठमांडू ले जाते है जहां यह दुगुने या तिगुने भाव में बिकती हैं /
जाति पूछने पर विष्णु अपने को उपाध्याय ब्रह्मिण बताती है मेरे यह कहने पर कि मेरा नाम विनोद पाण्डेय है और भी ब्राह्मण हूँ , वह अपने बारे में बताने लगी . वह पांच बहनें है . उसके पिताजी अब वृद्ध हो चुके हैं ,मगर अपनी जवानी में वे नेपाली कांग्रेस के सक्रिय सदस्य थे . थोड़ी सी खेती-बारी से उनका घर चलता था . मुझे आश्चर्य हुआ कि विष्णु कि सभी बहनें दूकान खोलकर वीयर परोसती हैं
विष्णु की मुस्कुराहट से या उसकी अदा से , मैं उसके प्रति आकर्षित हो चला था . कम से कम सप्ताह में एक बार उसके हाथों से वीयर पी लेने में बड़ा सकून महसूस होता था .
एक दिन मैंने विष्णु की दूकान पर एक और बहुत ही खुबसुरत और यौवन से लबरेज कमसिन लड़की को वीयर परोसते देखा . न चाहते हुए भी मैं उसके दूकान में घुस गया और विष्णु से पूछा - यह नै लड़की कौन है ?
मेरी छोटीबहन है .."माया" कल ही कुवैत से लौटी है , आइये ना , बातें कीजिये मैं विष्णु के निजी कमरे में बैठकर माया से गप्प करने लगा .
माया .. मानों उसके शरीर का मांस दूध से बना था और होटों पर हलकी लाली यह आभास करा रही थी मानों दूध से भरे बर्तन के बीच एक लाल गुलाब रख दिया गया हो .//
माया ने बताया कि वह आठवी तक पढ़ी है मगर अंग्रेजी नही जानती. ' मैं तुम्हें प्यार करता हूँ ' का नेपाली में अनुवाद क्या होगा - मैंने पूछा
'म तिमी लाइ माया गरछू " कह वह मुस्कुराने लगी
माया के पति ड्राईवर हैं और तीन वर्षों से अर्ब में हैं . यदा-कदा कुछ पैसा भेज देते हैं , माया यहाँ नितांत अकेली थी और विष्णु के पास ही रहती थी
बब्बन जी प्रणाम आपका भी ऐसा लिखने का तरीका पढ़कर क्या कहा जाये ?
जवाब देंहटाएंramakant ji se poori tarah sahmat.nice presentation.
जवाब देंहटाएंरामाकांत सिंह भाई ,
जवाब देंहटाएंभाई यह कहानी कम रिपोर्ताज जैसी लगती होगी .. मैंने यह कहानी .. नेपाल में फैली गरीबी और चल रहे मानव व्यापार के ऊपर लिखी है ..
कहाणी पूरी होने दे .. सब बात स्पस्ट हो जायेगी
बबन पाण्डेय
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जवाब देंहटाएंhere for the 1st time great blog..! :) and congratulations it feels really awsum when your hard work pays off.! :) Check out my blog Our India
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