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बुधवार, 11 जून 2014

" अखबार "

सोचता  हूँ
कब  पढ़ पाउँगा .
अखबार ....
जिसमे न छपी हो ..
दुष्कर्म की कहानी ..
महगाई की मार..
हिन्दू-मुस्लिम के बीच मार-काट की ख़बरें
जेब-कटाई की ख़बरें//

जिसमे लिखा  मिले..
सबको पीने का पानी मिल गया...
सबको रहने को घर हो गया
गंगा निर्मल हो गई ...
नेता जो बोलेंगे /वही करँगें
बूढ़े माँ बाप बेटे के घर में रहने लगे //

मुझे इंतज़ार है ...
एक ऐसे अखबार के छपने का


10 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसे अखबार के लिए देश को बदलना होगा...मेरे एक मित्र इज़राइल रह कर आये बता रहे थे कि युद्ध और विभीषिका की खबरें पिछले पन्नों पर होतीं है...मुख्य पृष्ठ पर खुशगवार ख़बरों-चित्रो को जगह दी जाती है...

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  2. भारत में भी यह लागू हो... तो अच्छा रहे

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  3. ऐसा होना केवल एक स्वप्न है...

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  4. शायद इस सदी में तो ये संभव नहीं ... हाँ मिल के प्रयास करें तो शायद हो सके ...

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  5. शुभ कामनाएँ।
    जय श्रीराम।।

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