नहीं गन्दा करना चाहता
क़ुतुब मीनार की दीवारें
तुम्हारा नाम लिखकर //
हर सुबह ....
हरी दूब की फुनगियों पर टिके
हर शबनम पर
तेरा नाम लिखता हूँ
यह जानते हुए भी कि
कुछ पल मिट जायेगी ये शबनम
सूरज की तपिश से //
फिर भी ...
रोज लिखता रहूंगा तेरा नाम
क्योकि ...
मुझे फैलानी है
तेरे नाम की खुशबू
पुरे जहाँ में //
फिर भी ...
जवाब देंहटाएंरोज लिखता रहूंगा तेरा नाम क्योंकी ...मन में जो सदा बसती हो तुम सुबह शाम..
सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता लिखी है
जवाब देंहटाएंआपने काबिलेतारीफ बेहतरीन
बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
जवाब देंहटाएंबहुत कोमल अहसास। सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंक्योकि ...
जवाब देंहटाएंमुझे फैलानी है
तेरे नाम की खुशबू
पुरे जहाँ में //
बहुत सुंदर प्यार भरे अहसास ..सच में प्यार की खुशबु सारे जग में फैलनी चाहिए ..ताकि यह वातावरण सुदर बना रहे आपका आभार इस रचना के लिए
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (16.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
बहुत ही खूबसूरत!
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत ही अच्छी कविता लिखी है
जवाब देंहटाएंDhananajay Mishra