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गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

अनोखा प्यार


नहीं गन्दा करना चाहता
क़ुतुब मीनार की दीवारें
तुम्हारा नाम लिखकर //

हर सुबह ....
हरी दूब की फुनगियों पर टिके
हर शबनम पर
तेरा नाम लिखता हूँ
यह जानते हुए भी कि
कुछ पल मिट जायेगी ये शबनम
सूरज की तपिश से //

फिर भी ...
रोज लिखता रहूंगा तेरा नाम
क्योकि ...
मुझे फैलानी है
तेरे नाम की खुशबू
पुरे जहाँ में //

9 टिप्‍पणियां:

  1. फिर भी ...
    रोज लिखता रहूंगा तेरा नाम क्योंकी ...मन में जो सदा बसती हो तुम सुबह शाम..

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  2. बहुत ही अच्‍छी कविता लिखी है
    आपने काबिलेतारीफ बेहतरीन

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  3. बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

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  4. बहुत कोमल अहसास। सुंदर अभिव्यक्ति।

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  5. क्योकि ...
    मुझे फैलानी है
    तेरे नाम की खुशबू
    पुरे जहाँ में //

    बहुत सुंदर प्यार भरे अहसास ..सच में प्यार की खुशबु सारे जग में फैलनी चाहिए ..ताकि यह वातावरण सुदर बना रहे आपका आभार इस रचना के लिए

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  6. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (16.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  7. बहुत ही अच्‍छी कविता लिखी है

    Dhananajay Mishra

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