अभी कल की ही बात है
थोडा सा रद्दी कपडा
मैंने भिगोया पानी में
पोछ ( साफ़ ) डाले
सारे धूल
जो जमे थे
मेरे घर के
खिडकियों के शीशे पर //
आज धूप भी खिलकर आई थी
कमरे के अंदर //
काश !!!
कितना अच्छा होता
एक भींगे कपडे से
मैं उस धूल को पोछ पाता
जो मैंने
जिंदगी के रेस में
साथ चलने वालों के
चेहरों पर फेकें हैं//
काश !!!
जवाब देंहटाएंकितना अच्छा होता
एक भींगे कपडे से
मैं उस धूल को पोछ पाता
जो मैंने
जिंदगी के रेस में
साथ चलने वालों के
चेहरों पर फेकें हैं//....
बहुत गहन बात कुछ पंक्तियों में कह दी..बहुत सार्थक और संवेदनापूर्ण प्रस्तुति..
जिंदगी के रेस में
जवाब देंहटाएंसाथ चलने वालों के
चेहरों पर फेकें हैं//
बहुत अच्छे विचार ... अच्छी प्रस्तुति
बहुत सुन्दर और भावप्रणव रचना!
जवाब देंहटाएंभगवान हनुमान जयंती पर आपको हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत ही भावपूर्ण और कुछ पश्चाताप है आपकी
जवाब देंहटाएंकविता में बबन साहब,,सचमुच बड़ा ही कठिन
है अपनी फेंकी धूल को साफ़ करना ,मगर बड़ी
हिम्मतवाले ही ऐसा कर पाते हैं प्रयास
आपकी लेखनी का अच्छा है प्रयास .
is race main kitani dhool phanki bhi to hai...jo logon ne dali thi...jindagi pura hisaab rakhati hai...koi guilt palne ki zarurat nahin...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे विचार ... बहुत अच्छी रचना..
जवाब देंहटाएंकाश !!!
जवाब देंहटाएंकितना अच्छा होता
एक भींगे कपडे से
मैं उस धूल को पोछ पाता
जो मैंने
जिंदगी के रेस में
साथ चलने वालों के
चेहरों पर फेकें हैं//
बिल्कुल सच कहती ये पंक्तियां ...भावमय करते शब्द ।
आपको भान तो हुआ की आपने फेंके हैं...(वैसे लगता है की आपने फेंके नहीं होंगे). उनका क्या जिनकी आदत ही बन गयी है...दूसरों की आँखों में धुल झोंकना....
जवाब देंहटाएंबहुत ही भाव पुर्ण अच्छी रचना ! लेकिन आजकल तो लोग कालिख पोतने से भी बाज नहि आते ! क्या ही सुन्दर हो यदि हम सभी दुसरो को कहने की बजाय उसको सुधारें जिसको हर रोज हम सुबह सुबह आंईने मे देखते हैं !
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna.
जवाब देंहटाएंकाश !!!
जवाब देंहटाएंकितना अच्छा होता
एक भींगे कपडे से
मैं उस धूल को पोछ पाता
जो मैंने
जिंदगी के रेस में
साथ चलने वालों के
चेहरों पर फेकें हैं//
सुन्दर अभिव्यक्ति !
आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.html
काश !!!
जवाब देंहटाएंकितना अच्छा होता
एक भींगे कपडे से
मैं उस धूल को पोछ पाता
जो मैंने
जिंदगी के रेस में
साथ चलने वालों के
चेहरों पर फेकें हैं//
बहुत गहरी बात कही आप ने .....सार्थक रचना