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शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

सकून

तुम्हारी लवों की मुस्कुराहटों ने मुझे शायर बना दिया
ईमानदारी की ज़ख्मों ने मुझे कायर बना दिया //

इरादे नेक हो , इसलिए ताउम्र मशक्कत करता रहा
आपकी जुल्फों के साए ने , मुझे कातिल बाना दिया //

बात रुपयों की चलती है , तो सकून मिलता है
वरना आपकी हंसी में किसका पेट भरता है //

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर विचार हैं आपके .......:)

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  2. बात रुपयों की चलती है , तो सकून मिलता है
    वरना आपकी हंसी में किसका पेट भरता है //
    truth with pain.

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  3. बात रुपयों की चलती है , तो सकून मिलता है
    वरना आपकी हंसी में किसका पेट भरता है //

    बहुत सुंदर पोस्ट....वाह!!!!बबन जी आपने तो लिखने की विधा ही बदल दी

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  4. .



    "
    बात रुपयों की चलती है , तो सकून मिलता है
    वरना आपकी हंसी में किसका पेट भरता है"
    बबन पांडेय जी,
    सच है , पैसे से ही शांति मिलती है , पेट भरता है …

    बहुत ख़ूब !

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  5. बात रुपयों की चलती है , तो सकून मिलता है
    वरना आपकी हंसी में किसका पेट भरता है....ओह बड़ी कटु बात ... :) सादर

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  6. ये हुई इंजिनियर की शायरी...खरी-खरी बात...

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  7. अब क्या कहूँ ....ये तो बड़ी कातिल चीज लिख डाली आपने ..........गजब है गजब

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  8. शुक्रिया नित्यानंद जी
    नूतन जी
    राजेंद्र स्वर्णकार जी

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  9. शुक्रिया ... लाज़वाब लेखन
    बात रुपयों की चलती है , तो सकून मिलता है
    वरना आपकी हंसी में किसका पेट भरता है //

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  10. यूँ तो कहने को हम बड़े खुशमिजाज़ हैं लेकिन
    रुला देती है ,,अपनों के प्यार की हसरत कभी कभी..


    बात रुपयों की चलती है , तो सकून मिलता है
    वरना आपकी हंसी में किसका पेट भरता है aati sundar

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