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मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

प्रेम मुहाबरे


केश तुम्हारे काले-काले , नैन तुम्हारे बाबरे
तुम्हें देख मैं गढ़ लेता हूँ , रोज प्रेम मुहाबरे//


क्या चकोर की पिहू-पिहू , क्या कोयलिया की कुहू-कुहू
लव हिले तो फुट पड़ते हैं , हंसी के सौ-सौ फब्बारे //

7 टिप्‍पणियां:

  1. चार लाइन और 78 वर्णों में प्रेम को पूर्णता देना कोई आपसे सीखे

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  2. नव वर्ष पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा

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  3. नव वर्ष मंगल मय तुम्हें, आगे बढाये पन्थ में |
    न लू सताए ग्रीष्म में, न शेत भी हेमंत में |\

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  4. ‘चिन्तन-मनन’ करें हम थोड़ा, देखें कुछ टटोल कर-
    ‘क्या खोया,क्या पाया हमने’, बीत गये इस वर्ष में|

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