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गुरुवार, 24 जनवरी 2013

अजनबी


पता नहीं ...
किसी  को अजनबी हम क्यों कहते है ..
शुरू में तो सब अजनबी ही रहते हैं ..
आदमी ही नहीं ..
वो भी
जिसे हम ईश्वर कहते है ..
आइए...
अजनबियों से दोस्ती का हाथ  बढ़ाये
शायद वे ...
प्रभु के दुसरे रूप हों

10 टिप्‍पणियां:

  1. आइए...
    अजनबियों से दोस्ती का हाथ बढ़ाये
    शायद वे ...

    आपने न जाने किस रूप में नारायण मिल जाए को साकार कर दिया ....

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  2. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,,
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
    recent post: गुलामी का असर,,,

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  3. बहुत सुंदर भावनाए ,गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाये

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  4. बिलकुल सच ! कोई अजनबी नहीं होता । जिसे अपनी भी समझ नहीं है, वही चेतना अजनबी होने के एहसास से छोटी होती चली जाती है ।

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  5. उम्दा प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई...६४वें गणतंत्र दिवस पर शुभकामनाएं...

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