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सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

उफ़ ! ये शहर है ....


हाई-अलर्ट है पूरे शहर में
धारा १४४ लगी है
बच्चे इसका मतलब पूछते है..
क्या बताऊँ उन्हें
कसाब के  बाद अफजल को फांसी 
पत्नी कहती है 
आज बाहर मत जाइये //

रातों को नींद नहीं 
जबसे सुना है..
पाकिस्तान ने बना लिया है
२००० किलो मीटर तक मार मार  वाले मिसाइल 
उपर से रोज-रोज
लश्कर-ए=तैयवा और अलकायदा की धमकी 
बाबरी मस्जिद की बरखी 
26/10 , 9/11 है सो अलग...!
उफ़ ! ये शहर है  या
खौफ का समदर//

15 टिप्‍पणियां:

  1. बाबरी मस्जिद की बरखी
    26/10 , 9/11 है सो अलग...!
    उफ़ ! ये शहर है या
    खौफ का समदर//

    सही कहा आपने

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  2. आज शहर का हर व्यक्ति एक भय पाले जी रहा है ,आपने बहुत सधे शब्दों में ह्रदय के इस उथल -पुथल को व्यक्त किया है !
    बधाई बबन जी !

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  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगलवार 12/213 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है

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  4. समयोचित कविता.... चारों ओर छाइ हुइ डर की आभा को आपने बखुबी व्यक्त किया है
    ........

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  5. सच को दर्शाती सुन्दर कविता .....

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  6. एक वाजिब चिंता.एक सुंदर कविता.

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  7. बाबरी मस्जिद की बरखी
    26/10 , 9/11 है सो अलग...!
    उफ़ ! ये शहर है या
    खौफ का समदर//

    आजकल दहसत के हालात है देश में,,,,

    RECENT POST... नवगीत,

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  8. 'खौफ' तो ये दिखाने के लिए है , बब्बन जी, ये तो 'चोर वार' करने में माहिर हैं. सामने से 'वार' करने की हिम्मत गीदड़ों में कहाँ से .....
    उचित अभिव्यक्ति .. सादर.

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  9. Aapki kavitaon ke shabd aur abhivyakti ki shaili kabile tareef hoti hai ....

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