कुमुदनी सी खिलने वाली
हरश्रींगार सी हसने वाली
कचनार सी लचकने वाली
अपनी अंगडाई से
कली को फुल बना देने वाली
सौन्दर्य की हरीतिमा से लदी हुई
अनुपम,मनोहारी कामिनी
आपको मेरा प्रणाम ..
आप अगर अच्छी नहीं लगती
तो बस ....
सास-ससुर को ताने मारते वक़्त
कुमुदनी सी खिलने वाली हरश्रींगार सी हसने वाली कचनार सी लचकने वाली अपनी अंगडाई से कली को फुल बना देने वाली सौन्दर्य की हरीतिमा से लदी हुई अनुपम,मनोहारी कामिनी आपको मेरा प्रणाम ..
आदरणीय आपने तो कामिनी को जल संसाधन विभाग का पूरा पानी सिचकर पल्लवित कर दिया है अब वो सास को ताने मारेगी नहीं तो आपके साथ चुहलबाजी करेगी भुगतिए ...
बिल्कुल दुरुस्त फरमाया है रमाकांत जी ने....पानी दे देकर सिंचित कर दिया है तो भुगतना तो पड़ेगा ही...LOL....पर भाया इतनी प्यारी सी कविता कैसे कर लेते हो ...हमें भी सिखा दो
ज़बर्ज़स्त , लिखा आपने भईया ......
जवाब देंहटाएंआप अगर अच्छी नहीं लगती
तो बस ....सास-ससुर को ताने मारते वक़्त ..... मरहबा !!
वाह !!! क्या बात है बबन जी !!!
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जुल्म
बहुत ही मनोरम प्रस्तुति,आभार.
जवाब देंहटाएंकुमुदनी सी खिलने वाली
जवाब देंहटाएंहरश्रींगार सी हसने वाली
कचनार सी लचकने वाली
अपनी अंगडाई से
कली को फुल बना देने वाली
सौन्दर्य की हरीतिमा से लदी हुई
अनुपम,मनोहारी कामिनी
आपको मेरा प्रणाम ..
आदरणीय आपने तो कामिनी को जल संसाधन विभाग का पूरा पानी सिचकर पल्लवित कर दिया है अब वो सास को ताने मारेगी नहीं तो आपके साथ चुहलबाजी करेगी भुगतिए ...
नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!
जवाब देंहटाएंबिल्कुल दुरुस्त फरमाया है रमाकांत जी ने....पानी दे देकर सिंचित कर दिया है तो भुगतना तो पड़ेगा ही...LOL....पर भाया इतनी प्यारी सी कविता कैसे कर लेते हो ...हमें भी सिखा दो
जवाब देंहटाएंachcha hai
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