रुपयों की तंगी से कितने तंग सो जाते है लोग
खुली सड़क बिना बिछावन य़ू ही सो जाते है लोग //
पग-पग पर हालातों से समझौता करते हैं लोग
दोस्ती दिखाने को बस य़ू ही मुस्कुराते हैं लोग //
बातों को काटते-काटते , सर काट देते हैं लोग
जिंदगी बस यु ही,लड़ते-झगड़ते बिताते है लोग //
पहले मुसीबतों में खुलकर मदद को आते थे लोग
अब माँ-बहनों को देख,य़ू ही लंगोटा खोल देते है लोग //
खुली सड़क बिना बिछावन य़ू ही सो जाते है लोग //
पग-पग पर हालातों से समझौता करते हैं लोग
दोस्ती दिखाने को बस य़ू ही मुस्कुराते हैं लोग //
बातों को काटते-काटते , सर काट देते हैं लोग
जिंदगी बस यु ही,लड़ते-झगड़ते बिताते है लोग //
पहले मुसीबतों में खुलकर मदद को आते थे लोग
अब माँ-बहनों को देख,य़ू ही लंगोटा खोल देते है लोग //
बहुत पसन्द आया
जवाब देंहटाएंहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद !!
सच्चाई यही है
जवाब देंहटाएंआभार संजय जी . हौसला बढाते रहे
जवाब देंहटाएंअंतिम पंक्तियां वर्तमान को बिना लाग लपेट के उजागर करती हुयी ,,,,पूर्णतः सुदर ..
जवाब देंहटाएंधन्यबाद सुमन
जवाब देंहटाएंपग-पग पर हालातों से समझौता करते हैं लोग
जवाब देंहटाएंदोस्ती दिखाने को बस य़ू ही मुस्कुराते हैं लोग //
शुक्रिया नित्यानंद भाई
जवाब देंहटाएंपग-पग पर हालातों से समझौता करते हैं लोग
जवाब देंहटाएंदोस्ती दिखाने को बस य़ू ही मुस्कुराते हैं लोग //
...बिल्कुल सच...बहुत उम्दा प्रस्तुति...
बस य़ू ही ...
जवाब देंहटाएंरुपयों की तंगी से कितने तंग सो जाते है लोग
खुली सड़क बिना बिछावन य़ू ही सो जाते है लोग //
पग-पग पर हालातों से समझौता करते हैं लोग
दोस्ती दिखाने को बस य़ू ही मुस्कुराते हैं लोग //
बातों को काटते-काटते , सर काट देते हैं लोग
जिंदगी बस यु ही,लड़ते-झगड़ते बिताते है लोग //
पहले मुसीबतों में खुलकर मदद को आते थे लोग
अब माँ-बहनों को देख,य़ू ही लंगोटा खोल देते है लोग //
किया खूब
बातों को काटते-काटते , सर काट देते हैं लोग
जवाब देंहटाएंजिंदगी बस यु ही,लड़ते-झगड़ते बिताते है लोग //
बहुत खूब,सुंदर रचना !
RECENT POST : हल निकलेगा
बेबाक और बेख़ौफ़ |
जवाब देंहटाएंआभार मिसिर भैय्या
जवाब देंहटाएंजीवन जीने के नए ढंग खोज लेते हैं यूँही लोग ...
जवाब देंहटाएंsundar ...namste bhaiya
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