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गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

थकना मना है

नहीं थकती है हवा
नहीं थकती लहरें
नहीं थकती खुशबू
नहीं थकते हैं हम
जब बात चलती है
बोनस और ओवर टाईकी //

अगर थकता तन ...तो
न मिलते मजदूर, न बुनी जाती डोरी
न निकलते चोर, न होती चोरी
न होती बात -बात पर सीनाजोरी //

दोस्तों ! आदमी का
तन नहीं, मन थकता है
मगर.....
जिनके पास है
हौसला और लगन की
एक जोड़ी पंख
उनका मन कहता है
थकना मना है //

7 टिप्‍पणियां:

  1. थकना मना है बबन भाई....... बहुत बढ़िया.... लाजवाब...
    आकर्षण

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  2. जिनके पास है
    हौसला और लगन की
    एक जोड़ी पंख
    उनका मन कहता है
    थकना मना है //
    बबन पाण्डेय जी सुन्दर अभिव्यक्ति आप की अगर तन थकता तो न होती चोरी -ऊपर की पंक्तियाँ बहुत भायीं साधुवाद

    सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५

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  3. gazab pandey ji, i am impressed, simply...great use of words and lovely message...

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  4. खूब लिखा है आपने मजेदार |
    थकना मना है |
    बहुत ही उम्दा शब्दों का इस्तेमाल किये हैं धन्यवाद |

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  5. दोस्तों ! आदमी का
    तन नहीं, मन थकता है...
    ये तो निसंदेह सच बात है...लेकिन...भाई जी ...इसी मन पे तो नियंत्रण नहीं होता...

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  6. नहीं थकते हैं हम
    जब बात चलती है
    बोनस और ओवर टाईम की
    -----------
    दोस्तों ! आदमी का
    तन नहीं, मन थकता है.

    --बहुत सुंदर

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  7. जिनके पास है
    हौसला और लगन की
    एक जोड़ी पंख
    उनका मन कहता है
    थकना मना है,
    wah wah kya khub himat aur sahash ki urja di hai aapne,ab hum bhi nahi thakenge,rahon pe chalte rahenge jab tak manjil na payenge...............

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