आदमी ने बनाया
बहुत सारे निर्जीव यन्त्रं
फिर खोल दी दूकान
उनके कल-पुर्जों की //
ईश्वर ने बनाया
अनेकों जीव
मगर नहीं खोली दूकान
फेफड़ा ,गुर्दा और लीवर बेचने की //
यदि ईश्वर व्यापारी होता
खूब चलती उनकी दूकान
अगर ! वह टूरिस्ट आपरेटर होता
जीते जी स्वर्ग दिखाने का
फंडा हीट कर जाता //
अगर अफ़सोस !
ईश्वर व्यापारी नहीं है //
good
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति......सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंAfsos... kaash k hota!!!
जवाब देंहटाएंkafi samay baad aapne kuchh post kiya hai . sunder. shukriya
जवाब देंहटाएंuttam rachna,,,,,,,,ek ishvar hi saare ism(vaad) se pare ,,,,,
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