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मंगलवार, 20 सितंबर 2011
तेरे अधरों की फुलवारी
तेरी देहयिस्टी है छड़ चुम्बक
तुमसे बचूंगा, मैं अब कब तक
नज़र नयन का पकडे रहना
आलिंगन में ज़कड़े रहना
बाते करना प्यारी-प्यारी
भवरा बन मैं पीते रहूंगा
तेरे अधरों की फुलबारी //
नशा यौवन का मुझमे भी है
चाहत की आंधी तुममे भी है
उर की चुम्बन की रंगरेली करना
मेरी जुल्फों से अटखेली करना
सहलाना मेरे कानो की मोती
बुझा देना कमरे की ज्योति
रति क्रीडा की करना तैयारी //
भवरा बन मैं पीते रहूंगा
तेरे अधरों की फुलबारी
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बहुत सुंदर है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
kya bat hai sir..
जवाब देंहटाएंBAHUT SUNDER RACHANA SADHUWAD
जवाब देंहटाएंnice one , keep continued!
जवाब देंहटाएंक्या लिखते है...बहुत खूब
जवाब देंहटाएंअपने ब्लॉग http://dheerendra11.blogspot.com में आमंत्रित करता हूँ ...धन्यबाद
बहुत खूब बबन भाई... एक उमदा रचना
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