मेरी सुबह की शुरुआत
टॉयलेट सफाई से शुरू होती है
मैं डोम बन जाता हूँ
दाढ़ी बनाते समय
मैं नाई बन जाता हूँ //
नहाने से पहले
अपने कपडे धोता हूँ
मैं धोबी बन जाता हूँ //
अपने गाँव में खेती करता हूँ
मैं भूमिहार बन जाता हूँ
अन्याय के विरुद्ध लड़ता हूँ
मैं क्षत्रिय बन जाता हूँ //
जब अपनी थाली धोता हूँ
शुद्र बन जाता हूँ //
मेरे पिता जी ने मुझसे कहा था
तुम ब्रह्माण हो
अब आप ही बताएं
मेरी जाति क्या है ?
Baban Ji sahi kaha ek admi ek din me kitne ko prastut karta hai..............
जवाब देंहटाएंबबन जी,
जवाब देंहटाएंलोग तो इससे भी ज्यादा काम करते...
इस जीवन में जीने के लिए परिवार चलाने के पता
नही और क्या क्या करते है ...
मेरे पोस्ट पर भी आइये....
तुम ब्रह्माण हो
जवाब देंहटाएंyeh satya hai...
jai baba banaras....
ब्रम्ह नहीं कोई जाति बनाई, केवल बनाई नर और नारी
जवाब देंहटाएंकर्म किये जैसा मेरे पूर्वज, वही जाति बन गई हमारी ...
मै एक पात्र हूँ जो प्रतिदिन इन भूमिकाओं को जीता हूँ हकीक़त तो यह है कि मै एक मानव हूँ
सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंजब कभी जाति की बात हो... इसका एक मात्र अभिप्राय इंसानियत ही हो!
जवाब देंहटाएंअपने लिए करें तो और, सबके लिए करें तो कुछ और.
जवाब देंहटाएंइंसानियत....
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंaap ka jati manawata hai .
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा.....
जवाब देंहटाएंKafi acha laga mujko apka... ye post!!
जवाब देंहटाएं