कटीले मच्छड़ , नशीले मच्छड़
क्यों नहीं मरते ये आजकल
चाहे कितना मरो थप्पड़ //
चलते फिरते या बैठे-बैठे
भाषण का ये डंक मारते
अन्धकार की बात निराली
उजाले से भी ,ये नहीं डरते
इनके जैसा न कोई गप्क्कड़
मोटे मच्छड़, पतले मच्छड़//
नहीं डरता इन्हें रसायन
मिल जाते ये हर वातायन
हाथ हिलाते बढ़ते जाते
और सुनते अपना गायन
इनके जैसा न कोई भुलक्कड़ //
गोरे मच्छड़, काले मच्छड़....
ha ha ha ,
जवाब देंहटाएंnadan nahi hain ham sab jante hai ki
apke fenke khanjar kidhar jate hain..
bahut badhiya likha hai..
jai hind jai bharat
bina kuchh kahe ek dhaardaar vyangya mara hai sahab aapne... kamal ka hai....
जवाब देंहटाएंमच्छड़ पर एक रोचक कविता।
जवाब देंहटाएंमच्छर के ऊपर बहुत सुंदर रचना..बधाई....
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट स्वागत है
सुंदर रचना,बधाई..............!!
जवाब देंहटाएंpoliticians are very piosionous mosquitoes /
जवाब देंहटाएंमच्छरों के बहाने आपने बहुत बढ़िया कमेन्ट किया है सर जी ...बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंडॉ. रत्नेश त्रिपाठी
Bahut hi sunder....:)
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