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रविवार, 30 अक्टूबर 2011

एक बार मुस्कुरा दो !!


मुझे पता है ...
बालू,बजरी और ईटों का
अलग से कोई बजूद नहीं होता
जब तक उसमे सीमेंट न मिली हों/

मेरे भाई /दोस्त /रिश्तेदार
सब ईट/बालू/बजरी की तरह है
अलग -अलग
मुझे सीमेंट की ज़रूरत है प्रिय
इन्हें जोड़ने के लिए //

आकर
एक बार मुस्कुरा दो
मुझे यकीन है
तुम्हारी मुस्कराहट
सबके लिए सीमेंट बनेगी //

20 टिप्‍पणियां:

  1. मुस्कुराहट जोड़ देती है सबको...
    सुन्दरता से पिरोई गयी रचना!

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  2. खूबसूरत ख़याल .. सब मिलकर एक घर बना लेंगे .

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    उत्तर
    1. लेकिन जल्दी करें, जिंदगानी केवल चार दिन का मेला है।

      हटाएं
  3. जीवन की बहुत ही अमूल्य निधि (मुस्कराहट) को विषय बनाया है आपने

    जवाब देंहटाएं
  4. ek muskaan hi toote dil ko jod deti hai ghar ki to baat hi kya hai....bahut achcha likha hai.

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  5. सुन्दर प्रस्तुति ....
    मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं आपके साथ हैं !

    जवाब देंहटाएं
  6. तुम्हारी मुस्कराहट
    सबके लिए सीमेंट बनेगी // very nice .

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  7. हमेशा की तरह.. प्यारी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. भावनाओं को बखूबी लिखा है . .. अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. सही है मुस्कुराहट सीमेंट कि तरह जोड़ती है...

    सुन्दर रचना!

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सार्थक प्रस्तुति ! मेरे पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । बधाई !

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  11. प्रिय बंधुवर बब्बन पांडेय जी
    सस्नेहाभिवादन !


    आ'कर
    एक बार मुस्कुरा दो

    मुझे यकीन है
    तुम्हारी मुस्कराहट
    सबके लिए सीमेंट बनेगी

    मुस्कुराहट के लिए सीमेंट नया बिंब है

    बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  12. आकर
    एक बार मुस्कुरा दो
    मुझे यकीन है
    तुम्हारी मुस्कराहट
    सबके लिए सीमेंट बनेगी // bahut khub.

    जवाब देंहटाएं
  13. मुस्कुराहट ... BOUNDS EVERYONE... LIKE CEMENT...THANKS SIR... FOR A GOOD POEM

    जवाब देंहटाएं
  14. आकर
    एक बार मुस्कुरा दो
    मुझे यकीन है
    तुम्हारी मुस्कराहट
    सबके लिए सीमेंट बनेगी //

    क्या बात है .....

    जवाब देंहटाएं

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