मुझे पता है ...
बालू,बजरी और ईटों का
अलग से कोई बजूद नहीं होता
जब तक उसमे सीमेंट न मिली हों/
मेरे भाई /दोस्त /रिश्तेदार
सब ईट/बालू/बजरी की तरह है
अलग -अलग
मुझे सीमेंट की ज़रूरत है प्रिय
इन्हें जोड़ने के लिए //
आकर
एक बार मुस्कुरा दो
मुझे यकीन है
तुम्हारी मुस्कराहट
सबके लिए सीमेंट बनेगी //
मुस्कुराहट जोड़ देती है सबको...
जवाब देंहटाएंसुन्दरता से पिरोई गयी रचना!
खूबसूरत ख़याल .. सब मिलकर एक घर बना लेंगे .
जवाब देंहटाएंलेकिन जल्दी करें, जिंदगानी केवल चार दिन का मेला है।
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति , बधाई.
जवाब देंहटाएंजीवन की बहुत ही अमूल्य निधि (मुस्कराहट) को विषय बनाया है आपने
जवाब देंहटाएंshaaandaar
जवाब देंहटाएंek muskaan hi toote dil ko jod deti hai ghar ki to baat hi kya hai....bahut achcha likha hai.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंमेरी हार्दिक शुभ कामनाएं आपके साथ हैं !
तुम्हारी मुस्कराहट
जवाब देंहटाएंसबके लिए सीमेंट बनेगी // very nice .
badhiya hai ! badhai .........
जवाब देंहटाएंWah... bahut khoob
जवाब देंहटाएंbahut hi sandaar...
जवाब देंहटाएंjai hind jai bharat
हमेशा की तरह.. प्यारी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंभावनाओं को बखूबी लिखा है . .. अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसही है मुस्कुराहट सीमेंट कि तरह जोड़ती है...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
बहुत ही सार्थक प्रस्तुति ! मेरे पोस्ट पर आपका आमंत्रण है । बधाई !
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प्रिय बंधुवर बब्बन पांडेय जी
सस्नेहाभिवादन !
आ'कर
एक बार मुस्कुरा दो
मुझे यकीन है
तुम्हारी मुस्कराहट
सबके लिए सीमेंट बनेगी
मुस्कुराहट के लिए सीमेंट नया बिंब है
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आकर
जवाब देंहटाएंएक बार मुस्कुरा दो
मुझे यकीन है
तुम्हारी मुस्कराहट
सबके लिए सीमेंट बनेगी // bahut khub.
मुस्कुराहट ... BOUNDS EVERYONE... LIKE CEMENT...THANKS SIR... FOR A GOOD POEM
जवाब देंहटाएंआकर
जवाब देंहटाएंएक बार मुस्कुरा दो
मुझे यकीन है
तुम्हारी मुस्कराहट
सबके लिए सीमेंट बनेगी //
क्या बात है .....