नावों के डूबने में ,क्या दोष है पतवारों का
चमन को लुटने में , क्या दोष है खारों का //
बढ़ाते हैं , हम और आप इस दुनिया को
महगाई बढ़ने में ,क्या दोष है बाज़ारों का /
बेवज़ह तान तेदे हैं बंदूकें एक दुसरे पर
क़त्ल हो जाए तो,क्या दोष हैं तलवारों का //
तुम शिकायत लेकर कहाँ जाओगे ,बबन !
जब नल ही दूटा हो, क्या दोष है फब्बारों का //
Wah Baban ji , very nice poem ..
जवाब देंहटाएंbahut khoob.
जवाब देंहटाएंWaah......kya baat hai,umda prastuti !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंBEHTAREEN PESHKASH.... ATI SUNDAR
जवाब देंहटाएंAAKARSHAN
तुम शिकायत लेकर कहाँ जाओगे ,बबन !
जवाब देंहटाएंजब नल ही दूटा हो, क्या दोष है फब्बारों का //
waah... Babanji sahi kaha hai aapne... Very Nice...
बबन जी, क्या दोष है तलवारो का,दोस् तो अपना है बेहतरीन रचना,सुंदर पोस्ट...बधाई
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.....
सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना..........
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाए !!!
तुम शिकायत लेकर कहाँ जाओगे ,बबन !
जवाब देंहटाएंजब नल ही दूटा हो, क्या दोष है फब्बारों का //
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए.
Beautifully said - love it. Best wishes.
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