खिलखिलाने ,गुदगुदाने का मौसम बसंत है
जीवन में खुशियाँ लाने का, मौका अनंत है //
न्याय की कुर्सी पर बैठकर , ईमान मत बदलो
झूठ,फरेब ,धोखा करने का मौका अनंत है //
राम अमर हो गए, जिन्होनें चख लिया जूठा बेर
दोस्तों ,गरीबों को गले लगाने का मौका अनंत है //
खूब फूलते-फलते है दोस्तों , पापी इस देश में
क्योकि पापों को धोने को ,यहाँ नदियाँ अनंत हैं //
पापों को धोने के लिए नदियां बहुत है ...बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंसर जी ..इस कविता में तो रंग के दर्शन हो गए वाह
जवाब देंहटाएंराम अमर हो गए, जिन्होनें चख लिया जूठा बेर
जवाब देंहटाएंदोस्तों ,गरीबों को गले लगाने का मौका अनंत है //
KYA BAAT KAHI SIR AAPNE... WAAH
ठीक ही लिखा है आपने !!हमारे देश में पाप करके पुण्य करने का रिवाज़ भी पुराना है....और पाप धोने के तरीके भी अनंत है...
जवाब देंहटाएंराम अमर हो गए, जिन्होनें चख लिया जूठा बेर
जवाब देंहटाएंदोस्तों ,गरीबों को गले लगाने का मौका अनंत है //
Bhut Achchhii kavita hai...
Likhate rahie...
वाह!!!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति, सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंMY NEW POST ...सम्बोधन...
दोस्तों गरीबों को गले लगाने का मौका अनंत है........बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबसंत के बहाने आपने चिंतन का विषय दिया है।
जवाब देंहटाएंॐ नमः शिवाय !! महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये.
जवाब देंहटाएं,गरीबों को गले लगाने का मौका अनंत है // बहुत खूब भाई जी .......हर हर महादेव ....!!
जवाब देंहटाएंवाह!!!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंक्योकि पापों को धोने को ,यहाँ नदियाँ अनंत हैं //bahut khoob Babbanji.......जीवन में खुशियाँ लाने का, मौका अनंत है ....very true.....
जवाब देंहटाएंअनुपम भाव संयोजन के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबेतरीन अभिव्यक्ति. dhanyavaad.
जवाब देंहटाएंबसंत के बहाने बहुत अच्छी बातें कह दी आपने... सुन्दर रचना... आभार
जवाब देंहटाएंधारदार पंक्तियाँ ....बहुत अरसे बाद सुकून मिला
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