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शुक्रवार, 19 जुलाई 2013

मीठा पुलाव और सोया बरी

कल तक माँ
घर के
मिटटी के चूल्हे
बुझा देती थी पानी के छींटे मारकर
आज ये खुद भुझ गए  है
माँ की  अविरल आंसुओं से //

दादा के कन्धों पर चढ़कर
दहाड़ मारता था जो पोता
वह कन्धा अब टूट चूका है
"मेरी लाठी था रे तू !
क्यों टूट गया "
चीख रहा है दादा

बच्चे कहते है
बेहतर है
माँ की सुखी रोटी और प्याज
मीठे पुलाव और सोया-बरी की सब्जी से //
( बिकार के छपरा जिले में १६-७-१३ को मिड दे मिल
खाने से २४ बच्चो की मृतुयु के बाद लिखी गयी पोस्ट )

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