कल तक माँ
घर के
मिटटी के चूल्हे
बुझा देती थी पानी के छींटे मारकर
आज ये खुद भुझ गए है
माँ की अविरल आंसुओं से //
दादा के कन्धों पर चढ़कर
दहाड़ मारता था जो पोता
वह कन्धा अब टूट चूका है
"मेरी लाठी था रे तू !
क्यों टूट गया "
चीख रहा है दादा
बच्चे कहते है
बेहतर है
माँ की सुखी रोटी और प्याज
मीठे पुलाव और सोया-बरी की सब्जी से //
( बिकार के छपरा जिले में १६-७-१३ को मिड दे मिल
खाने से २४ बच्चो की मृतुयु के बाद लिखी गयी पोस्ट )
घर के
मिटटी के चूल्हे
बुझा देती थी पानी के छींटे मारकर
आज ये खुद भुझ गए है
माँ की अविरल आंसुओं से //
दादा के कन्धों पर चढ़कर
दहाड़ मारता था जो पोता
वह कन्धा अब टूट चूका है
"मेरी लाठी था रे तू !
क्यों टूट गया "
चीख रहा है दादा
बच्चे कहते है
बेहतर है
माँ की सुखी रोटी और प्याज
मीठे पुलाव और सोया-बरी की सब्जी से //
( बिकार के छपरा जिले में १६-७-१३ को मिड दे मिल
खाने से २४ बच्चो की मृतुयु के बाद लिखी गयी पोस्ट )
uff,,kitna katu saty
जवाब देंहटाएंअसल तस्वीर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
bahut accha pandey ji
जवाब देंहटाएंबेहतर है
जवाब देंहटाएंमाँ की सुखी रोटी और प्याज
मीठे पुलाव और सोया-बरी की सब्जी से //
गहरी भावपूर्ण पंक्तियाँ,,,
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