खूब मन लगता था
बचपन में
गलतियां खोजने में
एक ही तरह दिख रहे
दो चित्रों के बीच
आदत वहीँ से बन गयी
अब तो
गलतियां -ही गलतियां
अवगुण ही अवगुण
झट खोज बैठता हूँ ..
हर इंसान में //
बचपन में
गलतियां खोजने में
एक ही तरह दिख रहे
दो चित्रों के बीच
आदत वहीँ से बन गयी
अब तो
गलतियां -ही गलतियां
अवगुण ही अवगुण
झट खोज बैठता हूँ ..
हर इंसान में //
बहुत खूब
जवाब देंहटाएं~~
गलतियां खोजने में
एक ही तरह दिख रहे
दो चित्रों के बीच
मेरी आदत तो आज भी है
आभार आपका
हटाएंये भी एक टैलेंट है....
जवाब देंहटाएं:-)
अनु
सच है पर कभी कभी अपने आप को आईने में देख के गलतियां निकाला अच्छा होता है ... आत्मशुद्धि तो होती है ... अच्छे भाव लिए सार्थक रचना ...
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जवाब देंहटाएंदूसरों अवगुण ढूँढना ,उस अवगुण को अपनाने के बराबर है !
latest post केदारनाथ में प्रलय (भाग १)
बहुत ही सही ... उत्कृष्ट लेखन के लिए आभार ।
जवाब देंहटाएंbahut sundar
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