बातों का जहर ...
उगलती है ...
सास-बहू
हम और आप
सत्ता दल विपक्षी नेताओ पर //
मगर हम जो जहर छोड़ रहे है
फूलों पर ...
उसे चूस
मर रही है मधुमक्खियां ..
मर रही हैं तितलियाँ भी ..
फूलों का गंध भी बारूदी लगता है //
मेरे दोस्त !
नाराज मत होना ...
जब मैं तुम्हें अब
प्लास्टिक के फूल
स्वागत में दू तो ...
उगलती है ...
सास-बहू
हम और आप
सत्ता दल विपक्षी नेताओ पर //
मगर हम जो जहर छोड़ रहे है
फूलों पर ...
उसे चूस
मर रही है मधुमक्खियां ..
मर रही हैं तितलियाँ भी ..
फूलों का गंध भी बारूदी लगता है //
मेरे दोस्त !
नाराज मत होना ...
जब मैं तुम्हें अब
प्लास्टिक के फूल
स्वागत में दू तो ...
वाह ! बहुत खूब बेहतरीन प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST -: आप इतना यहाँ पर न इतराइये.
आपका आभार धीरेन्द्र भाई
हटाएंBahut khub.......
जवाब देंहटाएंआभार पूजा पाण्डेय ..हौसला आफ़ज़ाई करते रहे
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंकुछ दिनों में प्लास्टिक के फूलों से ही स्वागत होगा...एक ही फूल को बार-बार कई लोगों को दिया जा सकेगा...बढ़िया लिखा है आपने...
जवाब देंहटाएंकीट नाशक दवाओ के कारण फूलों को चूसने के क्रम में
हटाएंतितलियाँ और मधुमक्खियां मर रही है //
गहरी बात कह दी चंद पंक्तियों में ... लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंकल 23/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
वाह ....बहुत सुन्दर
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