हर कोई सिखाता है ,गिर कर उठने का हुनर
फिर पता चलता है
सिखाने वाला खुद गिरा हुआ था //
हर कोई सिखाता है ,सत्य पर चलने का हुनर
फिर पता चलता है
सिखाने वाला अनाड़ी था//
हर कोई संकल्प दिलाता है ,चोरी करना पाप है
फिर पता चलता है ..
सीखने वाला चोरो का सरदार है //
बाबा और संत सिखाते है ,चरित्र दृढ रखने के गुण
फिर पता चलता है
उनसे ज्यादा चरित्र हिन् कोई नहीं //
फिर पता चलता है
सिखाने वाला खुद गिरा हुआ था //
हर कोई सिखाता है ,सत्य पर चलने का हुनर
फिर पता चलता है
सिखाने वाला अनाड़ी था//
हर कोई संकल्प दिलाता है ,चोरी करना पाप है
फिर पता चलता है ..
सीखने वाला चोरो का सरदार है //
बाबा और संत सिखाते है ,चरित्र दृढ रखने के गुण
फिर पता चलता है
उनसे ज्यादा चरित्र हिन् कोई नहीं //
और हम जैसे कुछ अनाड़ी भी तो होते हैं जो ताजिंदगी कुछ नहीं सीख पाते हैं !
जवाब देंहटाएंआभार सुशील भाई ..आप सही कह रहे हैं
जवाब देंहटाएंज़िन्दगी जीने के लिये है...पल दो पल...जो खुद सीखना चाहे वो ही सीख सकता है...ज़िन्दगी की किताब में हर एक के फॉर्मूले अलग हैं...कोई एक सिद्धांत सब पर लागू नहीं होता...
जवाब देंहटाएंकिसी दूसरे के चरित्र को क्या देखना .. अगर बात अच्छी है तो अपना लेना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना ...
आपसे पूरी तरह सहमत हूँ ... वाणभट्ट जी
जवाब देंहटाएंआपने काफी सुन्दर लिखा है...
जवाब देंहटाएंइसी विषय Prime minister Modi and Yoga से सम्बंधित मिथिलेश२०२०.कॉम पर लिखा गया लेख अवश्य देखिये!