तुम हो अंग्रेजी अखबार
करती हो अँखियों से बार //
जब कोई आता मेहमान
नहीं पूछती चाय-पान
तेरे ओठों की बड़-बड़ से
दिल हो जाता तार-तार
तुम हो अंग्रेजी अखबार //
आता है जब भाई तेरा
हर थकावट होती छू-मंतर
सब्जी चार पकाकर तुम
रोटी पर घी लगाती बार-बार
तुम हो अंग्रेजी अखबार //
भाई फ़ोटोज़ चेपने में आपकी पसंद झलकती है...और जब ऐसी झकास पसंद हो तो...वैसा होना ही है जैसी कविता लिखी है...सटीक...
जवाब देंहटाएंwaah..achha hai..
जवाब देंहटाएंलिखा तो सही है आपने ...
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