तुम्हारी याद
मेरे दिल की शांत झील में
पहले तो एक पत्थर की तरह गिरती है
फिर उठा देती है सुनामी सी लहरें
प्रश्न है
आखिर क्यों आती हो तुम याद
मैंने तो तुम्हारे साथ
अग्नि के शात फेरे भी नहीं लिए
कसमें भी नहीं खाई
जिंदगी भर साथ निभाने की
जिन्होनें सात फेरे लिए
मरने-जीने की कसमें खाई
अब वे कहते है
दिखावा है ये सब
क्योकि अलग-अलग होने के
पदेन हैं लाखों आवेदन कोर्ट में
तॊ आओ प्रिय!
सात फेरे लेने से पहले
हम शपथ लें लें
हम मिलेंगें /अलग होने के लिए नहीं
जीवन भर साथ-साथ चलने के लिए//
जवाब देंहटाएंतॊ आओ प्रिय!
सात फेरे लेने से पहले
हम शपथ लें लें
हम मिलेंगें /अलग होने के लिए नहीं
जीवन भर साथ-साथ चलने के लिए,,,,
बहुत सुंदर भाव लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति....
Recent post: होरी नही सुहाय,
Dam Dar....Bhabhi Naraj na ho jayen..
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन
जवाब देंहटाएंतब साथ निभाना जो पड़ता है ....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
sundar kavita, lekin ek sawal, koi alag hone ke liye bhi saat phere lte hai kya? Kuch logon ke man mein shaq hota hai, uska koi ilaaj nahi, aur haan, prem kahaniyan amar hain, log ek doosre ko yaad karte hain behad, bina shaadi, aur shayad shaadi ki hoti to kum yaad aate...........zindagi door se, premi door se, zyada achche lagte hain, kareeb jaane par lagta hai ki ruman ke baad ek aur zindagi hai
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव ....
जवाब देंहटाएंमंगलवार 09/04/2012को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं ....
जवाब देंहटाएंआपके सुझावों का स्वागत है ....
धन्यवाद .... !!
बहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंतॊ आओ प्रिय!
सात फेरे लेने से पहले
हम शपथ लें लें
हम मिलेंगें /अलग होने के लिए नहीं
जीवन भर साथ-साथ चलने के लिए//-बहुत सुंदर भाव
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